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बिहार: इस थाने ने लापरवाही का बनाया रिकॉर्ड, पेंडिंग हैं 1500 केस, सालों से नहीं लिखा गया है डोजियर

एसपी ने बताया कि लंबित कांडों के निष्पादन के लिए एक विशेष रणनीति तैयार की गई है. वे खुद नगर थाना में लंबित केसों के निष्पादन की मॉनिटरिंग कर रही हैं. इसके अलावा एसडीपीओ और सर्किल इंस्पेक्टर को भी अलग-अलग थाने की जिम्मेवारी सौंपी गई है.

जहानाबाद: बिहार पुलिस अपने कारनामों की वजह अक्सर सुर्खियों में रहती है. ताजा मामला बिहार के जहानाबाद का है, जहां के नगर थाना ने लापरवाही का रिकॉर्ड बनाया है. नगर थाना में मौजूदा समय में लगभग 1500 केस लंबित हैं. वहीं, जांच में यह बात भी सामने आई है कि थाने में करीब सात-आठ सालों से डोजियर भी नहीं लिखा गया है. लंबित केसों के मामले में जहानाबाद नगर थाना बिहार के सभी थानों में चौथे स्थान पर है.

जिले में कुल 4000 केस हैं लंबित

जांच में यह बात सामने आई है कि पूर्व थाना अध्यक्ष की लापरवाही की वजह से लंबित कांडों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती चली गयी. आज स्थिति यह है कि थाने में केवल दिसंबर, 2020 तक लगभग 1559 केस पेंडिंग हैं. जबकि पूरे जिले में 4000 केस लंबित हैं. नगर थाने की स्थिति को लेकर मौजूदा थानाध्यक्ष काफी चिंतित हैं. उन्हें इस बात की चिंता है कि कहीं पूर्व थानाध्यक्ष के लापरवाही उनके प्रोमोशन के राह में रुकावट न पैदा कर दे.

दरअसल, नगर थाना के मौजूदा थानाध्यक्ष रविभूषण 1994 बैच के इंस्पेक्टर हैं और इनका प्रमोशन कभी भी एसडीपीओ में हो सकता है. इनके बैच के कई लोगों का एसडीपीओ में प्रमोशन हो भी चुका है. लेकिन उन्हें इस बात का डर है कि कहीं पेंडिंग केसों की वजह से उनका प्रोमोशन टल न जाए.

डेढ़ साल तक एसआई को बनाया थानाध्यक्ष

दरसअल, बीते दिनों नगर थाना की जिम्मेदारी नौसिखिए एसआई राजेश कुमार को सौंप दी गयी थी. वो करीब डेढ़ साल तक थानाध्यक्ष रहे और उन्हीं के कार्यकाल में थाने की दुर्गति शुरू हुई. उनसे पूर्व थाने की जिम्मेदारी एसके शाही संभाल रहे थे. उनके कार्यकाल में लंबित केसों की संख्या 800 से घटकर 403 पर आ गई थी. लेकिन राजेश कुमार के कार्यालय में वो 1500 के पार कर गयी.

उनके कार्यकाल के दरम्यान शहर में भीषण दंगा हुआ. शहर की 50 से अधिक दुकानें लूट ली गईं. कुछ आग के हवाले कर दी गईं, लेकिन नौसिखिया थानेदार के कानों पर जूं तक नही रेंगी. कई बार पुलिस की नाकामी सामने आई लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया. इतना ही नहीं पूर्व थानाध्यक्ष वरीय अधिकारियों के आदेश को अनदेखा करते रहे.

वहीं, वरीय अधिकारी भी उनकी अनदेखी पर चुप्पी साधे बैठे रहे. परिणाम यह हुआ कि लंबित कांडों के मामले थाने नकारेपन की इबारत ही लिख दी. अब तो स्थिति यह है कि कई मामलों की फ़ाइल ढूंढने पर भी नहीं मिल रही है.

एसपी ने तैयार की है विशेष रणनीति

बहरहाल, जिले की एसपी मीनू कुमारी ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. उन्होंने बताया कि जिले में योगदान के बाद कांडों की समीक्षा शुरू की तो पाया कि जिले में लगभग चार हजार से अधिक केस लंबित पड़े हैं. अकेले नगर थाना में एसआर और नॉन एसआर के लंबित केसों की संख्या लगभग 1500 से अधिक है.

एसपी ने बताया कि लंबित कांडों के निष्पादन के लिए एक विशेष रणनीति तैयार की गई है. वे खुद नगर थाना में लंबित केसों के निष्पादन की मॉनिटरिंग कर रही हैं. इसके अलावा एसडीपीओ और सर्किल इंस्पेक्टर को भी अलग-अलग थाने की जिम्मेवारी सौंपी गई है.

एसपी ने बताया कि जिले में फरार अपराधियों और अभियुक्तों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस पदाधिकारियों की ओर से वारंट प्रे करने में काफी सुस्ती बरती गई है. थाने में सात-आठ सालों से डोजियर नहीं लिखा गया है. इसके अलावा थाना में रिकॉर्ड का रखरखाव भी अपेक्षा के अनुरूप नहीं है.

एसपी ने बताया कि वह जल्द ही थाने में रिकार्डों के रखरखाव और नियमित रूप से डोजियर बनाने को लेकर सभी थानाध्यक्ष और ओपी प्रभारियों के साथ एक बैठक करेंगी.

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