कैमूर: कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए पीएम मोदी ने देश भर में सम्पूर्ण लॉकडाउन लागू किया था. लॉकडाउन के दौरान लाखों लोग परेशान दिखे. वहीं, कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने आपदा को अवसर में बदला और कुछ ऐसा कर दिखाया जिसकी अब हर तरफ तारीफ हो रही है. ऐसे ही एक शख्स हैं बिहार के कैमूर जिले के दुर्गावती प्रखंड के कर्मनाशा निवासी शिक्षक पीयूष मोहन.


लॉकडाउन में जब सभी परेशान थे उस वक़्त पीयूष ने खाली समय का इस्तेमाल करते हुए श्री रामचरित मानस को भोजपुरी में लिख डाला. इसके पीछे उनका उदेश्य यह है कि सभी लोग आसानी से रामचरित मानस पढ़ सके. बता दें कि इसके पहले भी उनके दो उपन्यास छप चुके हैं.


अंतिम दौर में है काम


इस संबंध में शिक्षक पीयूष मोहन ने बताया कि जब लॉकडाउन लगा तो वो पूरी तरह से खाली बैठे थे. ऐसे में उन्होंने सोचा कि क्यों नहीं रामचरित मानस को भोजपुरी में लिखा जाए, क्योंकि वह जिस भाषा में लिखा गया है, उस भाषा में सभी के लिए पढ़ना संभव नहीं है. इसलिए उन्होंने अपने खाली समय में रामचरित मानस को भोजपुरी में लिखना शुरू किया और अब वे अंतिम दौर में हैं.


भोजपुरी को हेय दृष्टि से देखते हैं लोग


उन्होंने कहा कि लोग भोजपुरी को बहुत ही हेय दृष्टि से देखते हैं क्योंकि कुछ लोगों द्वारा भोजपुरी में अश्लील गाने गाकर उसकी गरिमा को भंग कर दिया गया है. ऐसे में लोगों के मन में भोजपुरी के प्रति मान सम्मान बढ़ाने के लिए उन्होंने रामचरित मानस का भोजपुरी अनुवाद किया है.


छह महीने से काम में जुटे हैं पीयूष


उन्होंने बताया कि वो पिछले छह महीने से इस काम में लगे हैं. अभी कुछ अध्याय बाकी हैं, जो जल्द पूरा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि वे लोगों से अपील करते हैं कि वे भोजपुरी में लिखे गए रामचरित मानस और अन्य किताबों को पढ़ें जिससे कि समाज में भोजपुरी का मान सम्मान बढ़ सके और उसकी स्वच्छ छवि बन सके.


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