(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Bihar News: अररिया के इस मंदिर की महिमा है अपार, कभी मिट्टी के महादेव की लोग करते थे पूजा, आज पहुंचते हैं कई श्रद्धालु
अध्यक्ष ने बताया कि साल 1934 के भूकंप के आसपास के सालों में क्षेत्र के श्रद्धालु मिट्टी का महादेव बनाकर पूजा करते थे. सालों तक मिट्टी के महादेव की पूजा के बाद यह बड़ा भोला बाबा का रूप ग्रहण कर लिया.
अररिया: शिवरात्रि को बीते दो दिन हो गए, लेकिन बिहार के अररिया जिले में एक ऐसा मंदिर है जहां अभी भी शिवरात्रि की धूम है. जिला के रानीगंज प्रखंड के बगुलाहा पंचायत के घर बंधा गांव स्थित कल्याणेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में महाशिवरात्रि के अगले दिन यानि बुधवार से 48 घंटा का अष्टयाम शुरू किया गया है. हर साल की तरह इस साल भी अष्टयाम का आयोजन किया गया है. रामधुनी संकीर्तन से गांव में भक्तिमय माहौल बन गया है.
महादेव सभी की मनोकामना करते हैं पूरी
भक्तगण रामधुनी पर झूमते नजर आ रहे हैं. रामधुनी संकीर्तन का श्रवण करने एवं भक्ति रस में गोता लगाने के लिए श्रद्धालुओं और भक्तजनों की भारी भीड़ भी मंदिर में उमड़ने लगी है. कार्यक्रम के संयोजक और अध्यक्ष खेला नन्द झा ने इस अवसर पर बताया कि कल्याणेश्वर महादेव की महिमा बड़ी निराली है. जो भी भक्त बाबा के शरण में अपनी मन्नत लेकर आते हैं, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है.
पहले मिट्टी के महादेव की करते थे पूजा
उन्होंने बताया कि साल 1934 के भूकंप के आसपास के सालों में क्षेत्र के श्रद्धालु मिट्टी का महादेव बनाकर पूजा करते थे. सालों तक मिट्टी के महादेव की पूजा के बाद यह बड़ा भोला बाबा का रूप ग्रहण कर लिया. बाद के दिनों में बाबा की कृपा और आशीर्वाद से पक्कीकरण के साथ मंदिर अपनी भव्यता की ओर बढ़ रहा है. जब से इस मंदिर का निर्माण हुआ है, तब से कोसी शरण घर बांधा और उसके दक्षिण की ओर जाने वाली गांवों में बाबा की कृपा से सड़कों का जाल बिछने लगा है, जबकि इससे पूर्व इन गांवों तक आने के लिए सड़क की स्थिति नारकीय थी. कई जगह तो सड़कें गायब भी थीं.
शिव विवाह का मनाया जाता है उत्सव
अध्यक्ष ने कहा, " बाबा की कृपा से समाज नित्य समृद्ध हो रहा है. हम लोग समाज के सहयोग से हर साल रामधुनी अष्टयाम संकीर्तन आयोजित करते हैं. इससे पूर्व अष्टयाम की पूर्व संध्या पर शिवरात्रि के अवसर पर शिव बारात भी निकाली गई थी, जो गांवों के प्रमुख टोलों और सड़क का भ्रमण करते हुए रात में शिव विवाह का उत्सव मनाया गया."
अष्टयाम संकीर्तन को सफल बनाने में खेला नंद झा, कुमदानंद झा समेत कई लोगों की सक्रियता प्रमुखता से देखी गई. कार्यक्रम के सक्रिय कार्यकर्ता दिलखुश झा ने बताया कि तीन दिवसीय रामधुनी अष्टयाम संकीर्तन का समापन शुक्रवार को होगा.
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