गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज सदर अस्पताल के स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में पिछले 48 घंटे में तीन नवजातों की मौत हो गई. एक-एक कर तीन बच्चों की मौत होने से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया. वहीं, बच्चों की मौत के बाद परिजनों में कोहराम मच गया है. अस्पताल प्रशासन के मुताबिक शुक्रवार की रात में दो और शनिवार की सुबह में एक नवजात की मौत इलाज के दौरान हुई.
किसी का नहीं कराया गया पोस्टमार्टम
वहीं, परिजनों ने कहा कि जिन बच्चों की मौत हुई उनमें किसी का चेहरा पीला हो गया था तो किसी नवजात का पूरा शरीर स्याही के रंग जैसा हो गया था. लेकिन अस्पताल प्रशासन की ओर से किसी भी नवजात का पोस्टमार्टम नहीं करवाया गया, जिससे कि मौत के कारणों का स्पष्ट पता चल सके. इस मामले में जब अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ.एसके गुप्ता से पूछताछ की गई तो उन्होंने ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक से बात कर मौत के कारणों का जांच कराने की बात कही.
मांझा प्रखंड के भैसहीं गांव निवासी अर्जुन यादव की पत्नी रिंकु देवी ने कहा कि उसने 22 दिन पूर्व एक पुत्र को जन्म दिया था. जन्म के बाद बच्चे की तबीयत खराब हो गई. उसे परिजनों द्वारा निजी अस्पताल में भर्ती किया गया. लेकिन स्थिति और खराब हो जाने के कारण निजी अस्पताल से सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां बच्चे को एसएनसीयू में भर्ती किया गया, लेकिन शनिवार की सुबह उसकी मौत हो गई.
इधर, बरौली प्रखंड के महम्मदपुर निवासी हरेंद्र मिश्रा की पत्नी बेबी देवी ने बताया कि एक दिन पूर्व एक बच्चे को जन्म दिया. बच्चे को तत्काल इलाज के लिए डॉक्टर की सलाह पर एसएनसीयू में भर्ती कराया गया. जहां इलाज के दौरान शुक्रवार की रात में उसकी मौत हो गई. परिजनों ने बताया कि डॉक्टर द्वारा बच्चे के काफी कमजोर होने की बात बताई गई है.
इधर, सिधवलिया प्रखंड के रमेश सिंह की पत्नी मनीषा ने भी एक लड़की को 22 दिन पूर्व जन्म दिया था, लेकिन उसकी शुक्रवार की रात में मौत हो गई. मौत के बाद बिना पोस्टमार्टम कराए ही परिजनों को शव सौंप दिया गया. परिजनों के अनुसार मौत की कारणों के बारे में एसएनसीयू के स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा जानकारी नहीं दी गई.
क्या कहते हैं शिशु रोग विशेषज्ञ
सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ सौरभ अग्रवाल ने कहा कि एसएनसीयू में जो भी बच्चे आए थे, वह पहले से काफी क्रिटिकल थे. डॉक्टर की ओर से उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की गई. वहीं, एसएनसीयू में अन्य सभी बच्चे सुरक्षित हैं. उन्होंने कहा कि कम समय में बच्चे का पैदा होना और प्रसव के बाद नवजात में इंफेक्शन का फैलना मौत की मुख्य वजह है. लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा. समय पर एसएनसीयू में नवजात को लाकर भर्ती कराने की जरूरत है. निजी अस्पताल में नवजात बच्चों की हालत बिगड़ने के बाद सदर अस्पताल में लाया जाता है, जिससे बच्चे को बचा पाना सम्भव नहीं होता.
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