पटना: बिहार में भूमि सर्वेक्षण का काम जारी है. 20 जिलों में सर्वेक्षण का काम पहले चरण में पूरा कर लिया है. वहीं, अब बाकी बचे 18 जिलों में भी सर्वेक्षण का काम शुरू कर दिया है. अब इस काम में और तेजी लाने और कमियों को दूर करने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने आठ नए प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी को सर्वेक्षण का काम सौंप दिया है. भारतीय प्रशासनिक सेवा के परीक्ष्यमान अधिकारियों द्वारा बिहार के 18 जिलों में चल रहे भूमि सर्वेक्षण का ऑन स्पॉट जाएजा लिया. वहीं, अपने अनुभवों से सर्वे निदेशालय को अवगत कराया जाएगा.
अध्ययन करने के लिए आए थे अधिकारी
बता दें कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने सभी अधिकारियों के अनुभवों को सुना और निदेशालय के अधिकारियों से उस पर विचार करने और सर्वे के काम में उन्हें शामिल करने का निर्देश दिया. 2020 बैच के ये भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जिलों में सहायक समाहर्ता के पद पर तैनात हैं. ये बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त का अध्ययन करने के लिए आए थे.
पूरी प्रक्रिया का किया अवलोकन
भारतीय प्रशासनिक सेवा के आठ परीक्ष्यमान अधिकारियों का सर्वे एवं बंदोबस्त से संबंधित प्रशिक्षण 25 जनवरी से शुरू होकर 7 फरवरी को समाप्त हुआ था, इसमें सभी अधिकारियों ने प्रथम चरण के भूमि सर्वेक्षण के जिलों का दौरा करके अमीन एवं हवाई सर्वेक्षण एजेंसी के साथ त्री-सीमाना एवं ग्राम सीमा सत्यापन की प्रक्रिया का अवलोकन किया. फिर विभिन्न चरणों के कार्यों का निरीक्षण कर 7 फरवरी को निदेशालय में प्रशिक्षण के आखिरी दिन सभी परीक्ष्यमान अधिकारी ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव को अपना अनुभव साझा किया.
अधिकारियों ने सर्वेक्षण में कई कमियां बताईं
गौरतलब है कि जिन अधिकारियों ने सर्वेक्षण के काम का प्रशिक्षण लिया उनमें मुजफ्फरपुर, पटना, भागलपुर, गया, नालंदा, पूर्णिया, दरभंगा और बेतिया कुल आठ जिलों के सहायक समाहर्ता-सह- सहायक दंडाधिकारी शामिल थे. इन अधिकारियों ने अपने क्षेत्रीय भ्रमण के दौरान सर्वे काम में लगे अमीन, कानूनगो और शिविर प्रभारियों से मुलाकात करने के अलावा आम जनता से भी बातचीत की और उनका मंतव्य जाना. प्रशिक्षण के आखिर में कई बिंदुओं पर अपना फीडबैक तीन पृष्ठों में सौंपा. अधिकारियों की रिपोर्ट में कुछ बातें कॉमन हैं. सबने जिलों में ईटीएस मशीन की संख्या कम होने और प्रशिक्षित ईटीएस ऑपरेटरों की संख्या बढ़ाने की सिफारिश की है. इसके लिए हवाई एजेंसियों को प्रयास करना है.
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