हाजिपुर: बिहार में लागू शराबबंदी कानून के तहत निर्दोष को फंसाने का मामला कई बार सामने आ चुका है. कानून के झूठे फंदे में फंसकर कई लोग सलाखों के पीछे पहुंच जाते हैं. ऐसा ही एक मामला प्रदेश के वैशाली जिले में भी सामने आया है. हालांकि, यहां पुलिस की सूझबूझ के कारण निर्दोष सजा से बच गया. वहीं, असली दोषी सलाखों के पीछे पहुंच गया. दरअसल, हाजीपुर के सराय में एक निलंबित सरकारी अफसर ने अपने दवा व्यवसायी भतीजे को फंसाने के लिए फर्जी कहानी रची थी. 


पहले भी किया था झूठा केस


भतीजे को फंसाने की नियत से आरोपी चाचा ज्ञानेंद्र मोहन ने बीते छह महीने पहले लूटपाट का मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस ने चाचा की शिकायत पर मामले की जांच पड़ताल की तो यह मामला फर्जी साबित हुआ. ऐसे में वो मामला वहीं खत्म गया. लेकिन चाचा अपनी जिद पर अड़ा था, ऐसे में कृषि विभाग के डिप्टी डॉयरेक्टर रहे ज्ञानेंद्र मोहन ने गुरुवार को दूध पहुंचाने वाले व्यक्ति द्वारा शराब मंगाई और फिर उसे चोरी छिपे भतीजे के घर और अलमारी में रख कर, पुलिस को शराब होने की सूचना दी थी.  


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एक कॉल ने खोल दिया सारा राज


सूचना के आलोक में पुलिस ने अधिकारी द्वारा बताए गए ठिकानों पर छापेमारी कर शराब बरामद की. इसी बीच जब शराब की सूचना देने वाले व्यक्ति को छापेमारी कर रहे पुलिस ने फोन किया, तो फोन का घंटी छापेमारी हो रही मकान में ही बजने लगी. ऐसे में पुलिस हैरत में आ गई और मामले की बारीकी से जांच की. जांच में ये बात सामने आई कि भतीजे को शराब मामले में फंसाने की साजिश चाचा ने ही रची थी. साजिश रचने की वजह जमीन विवाद है. 


पुलिस ने दो लोगों को किया गिरफ्तार


भतीजे की मानें तो साझा जमीन पर बने मेडिकल दुकान में हिस्से को लेकर विवाद चल रहा था. इसी बात को लेकर ऐसी साजिश रची गई थी. फिलहाल पुलिस ने इस मामले का उद्भेदन कर साजिश रचने वाले कृषि विभाग के निलंबित डिप्टी डायरेक्टर ज्ञानेंद्र मोहन और उनका साथ दे रहे व्यक्ति को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. 


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