कैमूर: आपने सुपरमैन, बैटमैन और स्पाइडरमैन का नाम सुना होगा. लेकिन हम आज आपको बताने वाले हैं 'हेलमेट मैन' के बारे में जो पूरे देश में फ्री हेलमेट बांटने के लिए मशहूर हैं. बिहार के कैमूर जिले के एक छोटे से गांव के रहने वाले राघवेंद्र आज पूरे देश में हेलमेट मैन के नाम से विख्यात हैं. राघवेंद्र कैमूर जिले के रामगढ़ प्रखंड के बघाड़ी गांव का रहने वाले हैं.


बता दें कि राघवेंद्र पहले दिल्ली में रहकर जॉब करते थे, लेकिन 2014 में उनके दोस्त की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. दोस्त के मौत की घटना ने राघवेंद्र को इस कदर झकझोर दिया कि वह नौकरी छोड़ कर वापस अपने गांव आ गए. गांव में उन्होंने अपनी खेत और घर बेचकर लोगों को मुफ्त में हेलमेट बांटना शुरू कर दिया. ताकि सड़क हादसे में लोगों के जान बच सके.


राघवेंद्र हेलमेट ही नहीं बल्कि जरूरतमंदों के बीच में पुरानी पुस्तकें भी बांटने का काम करते हैं. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी समेत कई जिलों के डीएम, एसपी उनके इस कार्य की तारीफ कर चुके हैं.


हेलमेट मैन के नाम से विख्यात राघवेंद्र बताते हैं कि वो अब तक देश के 22 राज्यों में घूम कर मुफ्त में 48 हजार हेलमेट बांट चुके हैं. वहीं, छह लाख बच्चों को निशुल्क पुरानी पुस्तकें भी दे चुके हैं. उन्होंने बताया कि हेलमेट खरीदारी के लिए उन्होंने अपनी जमीन बेच डाली. दिल्ली और गांव बघाड़ी स्थित मकान बेच डाला, लेकिन हेलमेट बांटना नहीं छोड़ा.


राघवेंद्र ने बताया कि साल 2014 में उनके दोस्त की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. 15 दिनों तक लाखों रुपए अस्पताल में खर्च होने के बाद भी दोस्त की जान बचाई नहीं जा सकी. उनका कहना है कि अगर दोस्त ने हेलमेट पहनी होती तो शायद उसकी जान बच जाती. ऐसे में घटना के बाद उन्होंने अक्टूबर महीने से लोगों को निशुल्क हेलमेट बांटना शुरू कर दिया, जिससे कि भारत में सड़क दुर्घटना में होने वाली मौत रोकी जा सके.


उन्होंने बताया कि पहले जब उन्होंने मुहिम शुरू की तो लोगों ने हेलमेट की लूट मचा दी. इसके बाद उन्होंने पुराने किताबों के बदले हेलमेट देना शुरू किया. ऐसे में हादसे में मौत को रोकने के प्रयास के साथ ही गरीब बच्चों को बुक देने का काम भी जारी है.