Union Budget 2024: देश के पूरे बजट से करीब-करीब 61 हजार करोड़ रुपये अकेले बिहार को दिए गए हैं. ताकि वहां पर सड़कें बन सकें, एक्सप्रेस वे बन सके, नए  पुल बन सकें, एयरपोर्ट बन सकें, पावर प्रोजेक्ट लगाए जा सके, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तरह गया और बोधगया में कॉरिडोर बन सके. इसके अलावा भी बिहार को लेकर केंद्र सरकार ने खूब मेहरबानी दिखाई है. और इस मेहरबानी पर नीतीश कुमार भी खुश हैं.


लेकिन क्या नीतीश कुमार लंबे वक्त पर इस पैसे पर अपनी खुशी जाहिर कर पाएंगे. क्या केंद्र ने जो पैसे बिहार को दिए हैं, वो सिर्फ बिहार की मदद के लिए ही हैं, या फिर इसमें भी एक राजनीति है, जो नीतीश की मदद करने के साथ ही नीतीश कुमार की मुसीबत भी बन सकती है. आखिर बिहार को मिली इतनी बड़ी रकम का राज क्या है, इसको लेकर इस खबर में आपको विस्तार से बताते हैं.



तो अभी तक तो आपको तमाम राजनीति शास्त्र के ज्ञाताओं और अर्थशास्त्र के ज्ञाताओं ने ये बता दिया होगा कि इस पैसे से बिहार में विकास की नदियां बहने लगेगी. पैसे मिल गए तो नीतीश कुमार केंद्र में बीजेपी को समर्थन देते रहेंगे. और मोदी सरकार बीजेपी के बहुमत के बिना भी ठीक-ठाक चलती रहेगी, क्योंकि अब बिहार के लिए केंद्र सरकार ने इतना कुछ कर दिया है तो नीतीश कुमार के पलटने का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं होता. लेकिन क्या सच सिर्फ इतना ही है कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ने बिहार को इसलिए पैसे दिए हैं ताकि वो नीतीश कुमार का समर्थन लेते रहें.


इसका जवाब आपको मिलेगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक पुराने बयान में. ये बयान 20 अगस्त 2015 का है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरा में दिया था और जहां से बिहार के लिए सवा लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी.



ये वो पैसे थे, जो बिहार की तकदीर बदल सकते थे. अब इस बात को 9 साल बीत गए हैं. लेकिन बिहार की तकदीर कितनी बदली, ये बताने की जरूरत शायद ही किसी को. तो क्या ये पैसे कम थे कि बिहार नहीं बदला. या फिर बिहार को बदलने की नीयत नहीं थी कि बिहार नहीं बदला. इस बात पर लंबी बहस की गुंजाइश है, तो इसे छोड़ देते हैं. और जो सच में बदला, उसपर बात करते हैं. तो बदला ये कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब बिहार के पैकेज की घोषणा की और उसके बाद बिहार में विधानसभा के चुनाव हुए तो नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड को 44 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा.


ये वो चुनाव था, जब पहली बार नीतीश कुमार और लालू यादव ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और बीजेपी बिना नीतीश के चुनाव लड़ रही थी. तो उस चुनाव में सबसे ज्यादा फायदा लालू यादव और उनकी पार्टी को हुआ, जबकि सबसे ज्यादा नुकसान नीतीश कुमार का हुआ. ये बात दीगर है कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बने और बनते ही रहे. लेकिन उनकी पार्टी की सीटें घटने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार बीजेपी और उसके पैकेज हो ही माना गया. तो नीतीश ने फिर से पाला  बदला. बीजेपी के साथ आए. फिर गए. फिर आए. फिर गए. फिर आए.


2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. तो उस चुनाव में नीतीश कुमार को और भी ज्यादा नुकसान हुआ. फिर से 28 सीटें घटीं. और घटकर नीतीश कुमार 43 पर रह गए. बिहार विधानसभा में तीसरे नंबर की पार्टी बन गए. वहीं बीजेपी को 21 सीटों का फायदा हुआ. और वो विधानसभा में दूसरे नंबर की पार्टी बन गई.


तो नीतीश कुमार को झटका लगा. और वो फिर से पलट गए. आरजेडी के साथ गए. लेकिन लोकसभा से पहले फिर से पलट गए. और लोकसभा का चुनाव बीजेपी के साथ लड़ा. तो फायदा भी हुआ. और इतना फायदा हुआ कि केंद्र में उनके बिना सरकार बनाना बीजेपी के लिए मुश्किल था. तो नीतीश ने साथ दिया. और बीजेपी ने रिटर्न गिफ्ट के तौर पर बजट में करीब 61 हजार करोड़ रुपये दे दिए.


लेकिन अब फिर से बिहार विधानसभा का चुनाव आ रहा है. बीजेपी ने कह तो दिया है कि मुख्यमंत्री का चेहरा नीतीश कुमार ही होंगे. लेकिन अगर बीजेपी ने बजट के इन पैसों का जिक्र किया और इसे चुनावी मुद्दा बनाया तो फिर नीतीश कुमार के लिए 2015 वाली मुश्किल हो जाएगी. क्योंकि बिहार को पैसे मिलने का क्रेडिट नीतीश कुमार को नहीं बीजेपी को मिलेगा. और तब चुनाव में भी इसका फायदा नीतीश को मिले न मिले, बीजेपी को मिलेगा ही मिलेगा. और अगर बीजेपी को फायदा मिला तो फिर नीतीश कुमार के लिए चुनौती बड़ी होगी.


क्योंकि 2020 में ही 43 सीटें मिलने के बाद बिहार बीजेपी के नेता नहीं चाहते थे कि नीतीश मुख्यमंत्री बने. नीतीश कुमार ने भी बड़े भारी मन से इनकार करने की कोशिश की थी.


लेकिन बीजेपी को कोई और सहयोगी मिलेगा नहीं तो नीतीश के चेहरे पर राजी होना पड़ा. मुख्यमंत्री बनाना पड़ा. लेकिन अब जब चुनाव के करीब डेढ़ साल पहले बीजेपी ने बजट के जरिए बिहार को एक तोहफा दिया है और अभी फरवरी 2025  के बजट में एक बार और भी तोहफा देने का मौका मिलने वाला है, तो बीजेपी इस मौके को भुनाएगी. और तब बिहार को मिले पैसे पर खुशी जाहिर करने वाले नीतीश कुमार कितने सहज रह पाएंगे, ये देखना दिलचस्प होगा.


ये भी पढ़ें: बिहार में अभी तक कितने एक्सप्रेसवे थे? क्या होते हैं इसके फायदे? क्या-क्या मिलती है सुविधा? जानें