Amit Shah Program: स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती पर पटना आएंगे अमित शाह, दूर करेंगे सवर्ण वोटरों की नाराजगी!
Bihar News: लोकसभा चुनाव के लिए बिहार महत्वपूर्ण माना जाता है. इसे देखते हुए बीजेपी अभी से तैयारी में जुट गई है. वहीं, एक बार फिर अमित शाह बिहार पहुंच रहे हैं.
पटना: सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) नौ अगस्त 2022 को एनडीए (NDA) से अलग होकर महागठंधन में शामिल हो गए. इसके बाद से बिहार को लेकर बीजेपी (BJP) काफी एक्टिव है. 2024 में लोकसभा चुनाव होना है ऐसे में बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व बिहार के वोटरों को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद तीसरी बार बिहार आने वाले हैं. अमित शाह 22 फरवरी को पटना के ज्ञान भवन में किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती (Swami Sahajanand Saraswati) की जयंती कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंच रहे हैं.
चार महीने में अमित शाह यह तीसरा कार्यक्रम
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सीमांचल के लोगों को लुभाने के लिए 23 और 24 सितंबर को किशनगंज और पूर्णिया में पहुंचे हुए थे. इस दौरान उन्होंने लाखों लोगों को संबंधित किया. इसके ठीक 20 दिन बाद 12 अक्टूबर को अमित शाह जयप्रकाश नारायण की जयंती के मौके पर छपरा के सिताब दियारा पहुंचे थे और वहां नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला था. अमित शाह का चार महीने में यह तीसरा दौरा बिहार का है. माना जा रहा है कि अमित शाह का यह दौरा राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है. कहा जा रहा है कि इस सभा से 2024 के लोकसभा चुनाव का शंखनाद भी होगा.
भूमिहार समाज से थे स्वामी सहजानंद सरस्वती
इस बार अमित शाह का दौरा बिहार के सवर्ण वोटरों को लुभाने के लिए माना जा रहा है. 22 फरवरी को किसान नेता के रूप में पहचान रखने वाले स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती है. स्वामी जी ब्रह्मर्षि समाज (भूमिहार ) से आते हैं और उनका नारा था 'भूमिहार और ब्राह्मण एक है'. ऐसे में भूमिहार और ब्राह्मण वोटरों को लुभाने के लिए सहजानंद सरस्वती की जयंती का कार्यक्रम बीजेपी ने रखा है. इस कार्यक्रम का आयोजन राजसभा सांसद विवेक ठाकुर कर रहे हैं. विवेक ठाकुर भी भूमिहार समाज से आते हैं. बताया जा रहा है कि विवेक ठाकुर ने हीअमित शाह का कार्यक्रम रखा है और अमित शाह ने भी इस कार्यक्रम में आने के लिए हामी भी भर दी है.
2024 लोकसभा चुनाव के लिए महत्वपूर्ण
सहजानंद सरस्वती की मृत्यु 1950 में हुई थी. अंतिम समय में सहजानंद सरस्वती कांग्रेस पार्टी से भी जुड़े हुए थे लेकिन बीजेपी सहजानंद सरस्वती के जयंती के माध्यम से सवर्ण वोटरों पर कब्जा जमाने की फिराक में है. बता दें कि भूमिहार समाज पहले से भी बीजेपी का वोटर माना जाता रहा है लेकिन हाल के कुछ महीने पहले बिहार में हुए तीन उपचुनाव में भूमिहार समाज की नाराजगी भी बीजेपी को झेलनी पड़ी थी. अब देखना होगा कि स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती पर बीजेपी को कितना लाभ मिलेगा और 2024 लोकसभा चुनाव के लिए यह कार्यक्रम बीजेपी के लिए कितना प्रभावी होगा.
ये भी पढ़ें: बिहार कांग्रेस पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी का गठन, सवर्ण और मुस्लिम वोट बैंक को साधने की कोशिश, लिस्ट देखें