‘टुकड़े-टुकड़े गैंग के लोग आज...’, संसद हमले की बरसी पर क्या बोले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह?
Parliament Attack Anniversary: गिरिराज सिंह ने लोकसभा में संविधान पर बहस को लेकर पीएम मोदी का धन्यवाद किया. साथ ही संविधान जेब में रखने की चीज नहीं बल्कि इसे व्यवहार में लाने की जरूरत है.
Parliament Attack Anniversary News: संसद हमले की 23वीं बरसी पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा कि भगवान न करें कि अभी ऐसे दृश्य किसी को देखने को मिले. लोकतंत्र के मंदिर पर हमला हुआ है. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोकतंत्र के मंदिर पर हमला किया गया. दुर्भाग्य है उस हमलावर अफजल गुरु को 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' ने सम्मानित किया.
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि टुकड़े-टुकड़े गैंग के लोग आज मस्तक तो टेक रहे हैं, लेकिन जेएनयू में अफजल गुरु की बरसी पर लोगों ने किया नहीं किया. लोकतंत्र के मंदिर पर हमला करने वाले की जितनी निंदा की जाए उतनी कम है.
‘संविधान को व्यवहार में लाने की जरूरत’
वहीं लोकसभा में संविधान पर बहस को लेकर गिरिराज सिंह ने कहा, "मैं इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने संविधान दिवस के रूप में मनाने का काम किया. ताकि देश के लोगों को संविधान की शिक्षाएं याद रहे संविधान सिर्फ जेब में रखने की चीज नहीं है. बल्कि संविधान को व्यवहार में लाने की जरूरत है."
#WATCH | Delhi: On the 23rd anniversary of the Parliament Attack, Union Minister Giriraj Singh says, "...It is very unfortunate that the temple of democracy was attacked. The attacker Afzal Guru was honoured by the 'tukde-tukde gang'..."
— ANI (@ANI) December 13, 2024 [/tw]
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‘तुम पियो तो पुण्य, मैं पियू तो पाप’
वन नेशन-वन इलेक्शन पर विपक्षी नेताओं की आलोचना पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुझे समझ नहीं आता है तुम पियो तो पुण्य, मैं पियू तो पाप. यहीं कांग्रेस की सरकार में 1967 तक देश में वन नेशन-वन इलेक्शन होता था. आज देश को जरूरत है कि जल्दी से जल्दी विकास हो. वन नेशन-वन इलेक्शन विकास भी होगा और खर्चा भी कम लगेगा. ये देश के लोग चाहते हैं.
इससे पहले गुरुवार को पीटीआई से बातचीत के दौरान मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम के खिलाफ बोलने का अधिकार हिंदुओं को होना चाहिए था. कांग्रेस के समय जब यह अधिनियम पारित किया तब हिंदुओं के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी. तब अदालत ही एकमात्र जगह थी जहां हिंदू जा सकते थे.
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