पटनाः लोक जनशक्ति पार्टी में टूट के बाद चाचा-भतीजा में तनातनी जारी है. महीनों बीत गए लेकिन आज भी बयानों से यह दिखता है कि दोनों के दिल में कसक है. मंगलवार को एबीपी न्यूज के कई सवालों का केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) ने जवाब दिया जिसका खुलासा उन्होंने अभी तक कहीं नहीं किया था. पशुपति पारस ने कहा कि रामविलास पासवान (Ramvilas Paswan) की संपत्ति पर चिराग पासवान (Chirag Paswan) का पुत्र होने के नाते हक हो सकता है लेकिन मैं राजनीतिक उत्तराधिकारी हूं. उन्होंने पहली बार यह भी खुलासा किया कि चिराग ने ही अपने पिता को जबरन अध्यक्ष पद से हटाया और उन्हें भी. घर पर चिराग ने उन्हें अपना खून मानने से इनकार कर दिया. अब सूर्य इधर से उधर हो जाएगा लेकिन चिराग के साथ संबंध नहीं होंगे.
वहीं दूसरी ओर स्याही फेंकने पर पशुपति पारस ने कहा कि, “आप इतिहास देखें जिस दिन राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव था उस दिन भी इस तरह की घटना घटी, ये सुनियोजित तरीके से किया गया, ये पेशेवर लोग थे जो पैसों के लिए यह सब करते हैं. कल की सभा में भीड़ दर्शा रहा था कि मैं राजनीतिक उत्तराधिकारी हूं. हाजीपुर से चुनाव लड़ा रामविलास जी के कहने पर, उन्होंने मुझे खुद उत्तराधिकारी बनाया. उन्होंने हाजीपुर के लिए बहुत कुछ किया. एनडीए गठबंधन में जब राज्यसभा के लिए नाम आगे आया तो उन्होंने उत्तराधिकारी बनाया. हाजीपुर से तो चुनाव लड़ा और जीत गया. रामविलास पासवान के नहीं रहने के बाद भी केंद्र कैबिनेट में मुझे ही उत्तराधिकारी माना गया. मैं प्रधानमंत्री का शुक्रगुजार हूं.”
जनता जानती है रामविलास और चिराग कोः पशुपति
चिराग से संबंधों को लेकर पशुपति ने आगे कहा कि भविष्य में संबंध मधुर हो ये कभी नहीं हो सकता. पानी सर से ऊपर चला गया है. रास्ता दोनों का अलग, अगर हम मिल जाएं तो हमारे पीछे जो फौज है उसका क्या होगा. ताली दो हाथों से बजती है, चिराग ने नीतीश को जेल भेजने की बात कही. हमने कहा नीतीश सुशाशन बाबू, इसी बात को लेकर भी मतभेद हुआ. 1969 से 2020 तक रामविलास की मैंने सेवा की. चिराग पासवान बताएं कि जमुई क्यों छोड़े? वहां भी पासवान हैं फिर भी हाजीपुर आए जहां की जनता के लिए 12 जनपद में इन्होंने दरवाजा बंद कर दिया. हाजीपुर की जनता जानती है कि रामविलास क्या थे मैं क्या हूं और चिराग क्या हैं. 2019 में लोकसभा का चुनाव मेरे नेतृत्व में हुआ और पूरे देश में छह सीट पर 52 प्रतिशत वोट आए फिर भी मुझे अध्ययन पद से क्यों हटा दिया गया? मतभेद की शुरुआत वहीं से हुई.
जातीय जनगणना पर पशुपति पारस ने कहा कि वह एनडीए के फैसले के साथ हैं, जो उनकी राय होगी उनकी पार्टी भी उस राय के साथ है. कहा कि हमारी पार्टी अलग है पर यहां सभी को निमंत्रण मिला हमें नहीं मिला. पांच दाल का मिश्रण है, तो जो आम सहमति बनेगी हम उसके साथ होंगे, हमें बैठक में बुलाया गया तो हम अपनी राय रखेंगे. वहीं उन्होंने आगे कहा कि बाढ़ पीड़ितों को लेकर कभी कोई बयान नहीं दिया. खुद बाढ़ पीड़ित हूं, किसी ने पैसा देकर ऐसी खबर चलाई होगी.
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