बिहार के कटिहार में है अनोखी गोगाबिल झील, जहां हर साल आते हैं करीब 300 प्रजातियों के प्रवासी पक्षी
लम्बे समय तक जलमग्न रहने वाले इस क्षेत्र को हरियाली अभ्यारण्य में बदलने की तैयारी गांव वालों ने कर ली है. ढाई सौ से अधिक ग्रामीणों ने अपनी जमीन गोगाबिल पक्षी अभ्यारण्य विकसित करने के लिए राज्य सरकार को दी है.
कटिहार: बिहार के कटिहार के मनिहारी प्रखंड में स्थित है एक अनोखी गोगाबिल झील जो एक ओर गंगा नदी तो दूसरी ओर महानंदा नदी से घिरे सैकड़ों प्रवासी पक्षियों का आश्रय स्थल है. यहां प्रकृति की मनोरम रचनाओं के साथ ही स्थानीय निवासियों के प्रकृति प्रेम को भी आप देख सकते हैं. अतिथि देवो भव: की परंपरा को चरितार्थ करते ग्रामीणों ने प्रवासी पक्षियों के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करने अनूठी पहल की है.
ईको टूरिज्म किया जाएगा विकसित
मनिहारी प्रखंड के मौजा जंगलाटाल इंग्लिश के लोगों ने अपनी 143 एकड़ रैयती जमीन दे दी, जिसे कटिहार के वर्तमान डीएम कंवल तनुज ने नई दिशा प्रदान की और अब पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है. अब इस रैयती भूमि पर ईको टूरिज्म विकसित किया जाएगा, जिस से की इस इलाके की न सिर्फ तस्वीर बदलेगी बल्कि साथ-साथ देश-दुनिया से आने वाले प्रवासी पक्षियों का भी यहां बसेरा होगा.
सरकारी जमीन पर बनाया गया कंजर्वेशन रिजर्व
लम्बे समय तक जलमग्न रहने वाले इस क्षेत्र को हरियाली अभ्यारण्य में बदलने की तैयारी गांव वालों ने कर ली है. ढाई सौ से अधिक ग्रामीणों ने अपनी जमीन गोगाबिल पक्षी अभ्यारण्य विकसित करने के लिए राज्य सरकार को दे दी है. यहां करीब 73.78 एकड़ सरकारी जमीन पर कंजर्वेशन रिजर्व बनाया गया है. जबकि ग्रामीणों की 143 एकड़ भूमि पर गोगाबिल सामुदायिक पक्षी अभ्यारण्य घोषित किया गया है.
गांव वालों ने बनाई एक आचार संहिता
इस झील में आने वाले विदेशी पक्षियों का शिकार नहीं किया जाए इसको लेकर गांव वालों ने एक आचार संहिता भी बनाई है. वहीं आसपास के जंगल के पेड़-पौधे भी नहीं काटे जाएंगे. वहीं इनके बचाव को लेकर बोर्ड भी लगाए जा रहे हैं. इन बोर्ड पर नक्शे के साथ अंकित हैं, प्रतिबंधित निर्देश. बता दें कि करीब 300 प्रजातियों के प्रवासी पक्षी हर साल यहां आते हैं. पक्षी अभ्यारण्य बनने के बाद अब पर्यटक भी इनका दीदार कर सकेंगें.