...और कितने उन्नाव? ट्रेन की टिकट मिलती नहीं, बिहार के लोगों के लिए बस है मजबूरी
Unnao Road Accident: उन्नाव सड़क हादसे में एक परिवार के छह लोगों की जान चली गई. इसके साथ ही 12 अन्य और जिंदगियां असमय दुनिया छोड़ गईं. इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
Bihar News: बिहार के अलग-अलग शहरों, कस्बों और गांवों से सपने लेकर लोग दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता जैसे बड़े शहरों की ओर जाते हैं. रोजगार के अभाव में लोगों को अपने घरों को छोड़कर पलायन के लिए मजबूर होना पड़ता है. चाहे वह आईटी इंजीनियर हो या फिर छोटे-मोटा रोजगार करने वाला कोई कामगार उनका गंतव्य यही बड़े शहर होते हैं जो उन्हें सपने की जीने की प्रेरणा देते हैं. जबकि इनके सपने को उड़ान देने का माध्यम बनती हैं रेलगाड़ियां और बस जो उन्हें उनके सपनों के शहर तक पहुंचाती हैं.
दिल्ली की दूरी तय करने के लिए 20-20 घंटे का सफर करना होता है लेकिन ये उनके मन में बसती बेहतर भविष्य की आस ही होती है जो उन्हें इस यात्रा में भी थकने नहीं देती. पूरे रास्ते वह यही सोचते हैं कि उनके सुखद जीवन की शुरुआत होने जा रही है लेकिन बीच रास्ते हुई सड़क दुर्घटना उनके ख्याल के साथ ही उनके सपनों को भी चकनाचूर कर देती है जैसा कि उन्नाव में हुई बस दुर्घटना में हुआ जहां 18 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी.
टैंकर से टकराते ही बस के उड़ गए परखच्चे
बिहार के सीवान से दिल्ली जा रही डबल-डेकर बस यूपी के उन्नाव में बुधवार तड़के लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर दुर्घटना का शिकार हो गई. बस यहां दूध से भरे टैंकर से टकरा गई. इस घटना में 18 यात्रियों की मौत हो गई तो 19 लोग घायल हैं. घायलों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मृतकों में अधिकांश बिहार के रहने वाले हैं. जबकि एक यात्री यूपी और एक दिल्ली का निवासी है. दुर्घटना में जिन लोगों को जान गंवानी पड़ी है उनमें 14 पुरुष, 2 महिलाएं और दो बच्चे शामिल हैं. मृतकों में छह एक ही परिवार के सदस्य हैं जो कि मोतिहारी के इजोरा बारा गांव के रहने वाले थे. मृतकों में दो भाई और उनकी पत्नी, एक भाई की बेटी और एक बेटा शामिल है. यहां मोतिहारी में परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है.
आखिर क्यों बस से करनी पड़ती है लंबी यात्रा
बिहार से दिल्ली की यात्रा के लिए 17 से लेकर 24 घंटे का सफर तय करना पड़ता है. हालांकि यह निर्भर करता है कि मोड ऑफ ट्रांसपोर्ट क्या है. विमान से यह यात्रा दो से ढाई घंटे में पूरी हो जाती है लेकिन हर कोई विमान से सफर नहीं कर सकता. राजधानी पटना से दिल्ली के विमान का किराया अगर तत्काल लिया जाए तो 10 हजार रुपये से ज्यादा खर्च आता है जबकि अगर 10-12 दिन पहले टिकट लिया जाए तो फिर भी किराया 4 हजार से अधिक आता है.ट्रेन पर आरामदायक सफर के लिए लंबी वेटिंग मिलती है. इसके लिए दो-तीन महीने पहले बुकिंग करानी पड़ती है.
अगर किसी को अचानक दिल्ली जाना हो तो उसे ट्रेन का टिकट मिलना मुश्किल होता है. एसी, स्लीपर और यहां तक कि जनरल कोच में भी जगह नहीं मिलती. तत्काल से टिकट बुक होने की भी गारंटी नहीं होती, ऐसे में लोगों के पास बस ही विकल्प बचता है जिसके लिए 19 घंटे का सफर तय करना पड़ता है. बस का किराया भी कोई सस्ता नहीं होता. इसके लिए भी प्रति यात्री 1600 रुपये से अधिक खर्च करना पड़ता है. लंबी दूरी की यात्रा के लिए बस सुविधाजनक नहीं होता और सुरक्षा का डर होता है लेकिन लोगों के पास और कोई विकल्प नहीं होता.
बिहार से कितनी बसें आती है दिल्ली?
राजधानी पटना के बैरिया बस स्टैंड एसोसिएशन के अध्यक्ष चंदन कुमार ने बताया कि बिहार से लगभग 50 बसें प्रतिदिन दिल्ली जाती हैं. उन्होंने बताया कि पटना में तो मात्र दो ही बस प्रतिदिन दिल्ली के लिए चलती है. बैरिया बस स्टैंड से एक बस जबकि गांधी मैदान बस स्टैंड से एक बस चलती है.
उन्होंने कहा, ''गांधी मैदान से जो बस का परिचालन होता है वह परिवहन विभाग के अनुबंध पर प्राइवेट बसें चलती है. उत्तर बिहार के लगभग सभी जिलों से प्रतिदिन 2 से 3 बस दिल्ली के लिए रवाना होती है. इनमें खासकर मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सीतामढ़ी, बेतिया, मोतिहारी, सारण, सिवान ,सुपौल, पूर्णिया, मधेपुरा, सहरसा जिले से प्रतिदिन दिल्ली के लिए बस रवाना होती है.''
चंदन कुमार ने कहा, ''इसकी मुख्य वजह है कि दिल्ली में जाने के लिए उत्तर बिहार में ट्रेन का लोकेशन बहुत कम है. अधिकांश जिले बस पर निर्भर हैं. इसके साथ ही उत्तर बिहार से गरीब तबके के लोग बाहर जाकर काम करते हैं. उधर ज्यादा सवारी मिल जाती है इसलिए उत्तर बिहार से दिल्ली के लिए बसें ज्यादा चलती हैं.''
यात्रियों ने क्या कहा?
आनंद विहार बस के पास बनी एमसीडी की पार्किंग में खड़ी बिहार के सासाराम जाने वाली बस में सवार यात्री ने कहा कि मनमाना किराया वसूलते हैं. 1400 से 1500 रुपये लेते हैं. कोई सुविधान नहीं होती. बैठने में भी दिक्कत है. हमारी मजबूरी है. रेल में टिकट नहीं मिलता है और घर जाना है.
पीएम और बिहार के सीएम ने दी प्रतिक्रिया
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने घटना पर दुख जाहिर करते हुए मृतकों के आश्रितों को सीएम राहत कोष से 2-2 लाख रुपये अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है. इसके अलावा घायलों के उचित इलाज के भी निर्देश दिए हैं. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने घटना पर दुख जाहिर करते हुए कहा कि जिला प्रशासन के अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर राहत कार्य़ में तेजी लाने के निर्देश दिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुर्घटना में जान गंवाने वालों के परिजनों के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष से 2-2 लाख रुपये अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है.
आखिर बिना परमिट के कैसे चल रही थी बस?
उन्नाव बस हादसे पर बिहार की परिवहन मंत्री शीला मंडल ने कहा कि हादसे के बाद जब वजह की जांच की गई तो सामने आया कि बस के कागजात, परमिट नहीं थे. सारी चीजें फेल थी. मैंने कई मौकों पर कहां है कि ओवरटेक से बचे, सावधानी से वाहन चलाएं. दो चार मिनट से कुछ नहीं होता है, लेकिन इससे बड़ी क्षति होती है. बस फिट और फाइन रहे, इसका ध्यान हम लोगों ने पहले से ही रखा हुआ है. इस संबंध में हमेशा है कार्यवाही चलती रहती है. निरंतर कार्रवाई होती है. कई बसों की परमिट भी रद्द की गई है.
बिहार-दिल्ली जाने वाली बसें हुई सड़क हादसे की शिकार
9 जुलाई 2024: दिल्ली से बिहार जा रही बस का यूपी के अमेठी में एक्सीडेंट, 5 यात्रियों की मौत, 11 घायल.
10 जुलाई 2024: आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हादसे में 18 की मौत, बिहार से दिल्ली आ रही डबल डेकर बस दूध के टैंकर से टकराई.
9 मई 2024: सीवान से दिल्ली जा रही बस पलटी, दो लोगों की मौत, गोपालगंज के 10 से अधिक यात्री घायल
28 अप्रैल 24: बिहार के गोपालगंज में सेना की बस दुर्घटनाग्रस्त, हादसे में 3 जवानों की मौत, 12 घायल.
23 मार्च 2024: प्रयागराज-कानपुर हाईवे पर थरियांव थाने के देहुली मोड़ पर शनिवार सुबह दिल्ली से बिहार जा रही टूरिस्ट बस अनियंत्रित होकर पलट गई.
01 मार्च 2024: सुपौल में NH-57 पर भीषण सड़क हादसा, खड़े ट्रक से टकराई दिल्ली जा रही बस; दो की मौत.
वाहनों के लिए क्या हैं परिवहन विभाग के नियम
सुरक्षा के मानकों को ध्यान में रखते हुए किन दस्तावेजों को साथ लेकर चलना जरूरी होता है? इसके साथ ही वाहनों में कितने लोगों को बिठाने की परमिशन होती है? इस सवाल के जवाब में आरटीओ (एन्फॉर्समेंट लखनऊ) संदीप पाठक ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि वाहन निजी हो या कर्मशियल हो सभी को फिजिकल या डिजिटल फॉर्म में दस्तावेज साथ रखने होते हैं जो आरटीओ द्वारा जारी किया जाता है.
संदीप पाठक ने बताया कि निजी वाहन के लिए ड्राइविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, बीमा, गाड़ी का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट जरूरी होता है तो वहीं कमर्शियल के लिए इन सबके अलावा एनुअल फिटनेस सर्टिफिकेट और परमिट जरूरी होता है.
संदीप पाठक बताते हैं कि जो बस ऑल इंडिया परमिट वाली होती है उन्हें सीट के अलावा अतिरिक्त व्यक्ति को बिठाने या खड़े होने की इजाजत नहीं दी जाती क्योंकि ओवर लोड होने से ओवर हैंग हो जाते हैं और अगर बस तेज गति से चलती है तो वह पलट जाती है.
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