कोसी तटबंध में खेती कर रहे यूपी के किसान, रेतीली जमीन पर फल और सब्जियों की कर रहे ऊपज
महिला किसानों ने कहा कि वे घर का काम निपटा कर खेत में आ जाती हैं और किसानों का हाथ बटाती हैं. सब्जियों और फलों को तोड़ना उनका मुख्य काम है. उन्होंने यहां की सब्जियों उत्तर प्रदेश, बंगाल, नेपाल और देश की राजधानी दिल्ली में भेजी जाती हैं, जिस वजह से उन्हें मुनाफा होता है.
सुपौल: बिहार के सुपौल जिले के कोसी तटबंध इलाकों में इन दिनों यूपी से आए किसान खेती कर रहे हैं. दरअसल, तटबंध की जमीन रेतीली होने की वजह से स्थानीय लोग उस जमीन पर खेती नहीं करते. ऐसे में यूपी से आए किसान अलग तकनीक का इस्तेमाल कर रेतीली जमीन पर खेती भी कर रहे हैं और मुनाफा भी कमा रहे हैं. कोसी तटबंध पर बसे दुबियाही पंचायत स्थित बेला गांव की बेकार पड़ी रेतीली जमीन पर यूपी के किसान मीठे फल और सब्जियों की खेती कर रहे हैं.
यमुना किनारे करते थे खेती
यूपी के किसानों को देखकर बिहार के किसान भी प्रेरणा ले रहे हैं. बता दें कि यूपी के किसान जनवरी महीने में ही सुपौल आए थे. उन्होंने बताया कि वे पहले यमुना नदी के किनारे रेतीली जमीन पर खेती-बाड़ी का काम करते थे. मगर वहां की जमीन बंजर होने के बाद उन्हें बिहार का रुख करना पड़ा. यहां वे विशेष विधि से खेती करते हैं, जिसमें मेहनत तो अधिक है, पर मुनाफा भी अधिक है.
किसानों ने बताया कि यहां के जमींदारों से छह सौ रुपए प्रति एकड़ के दर से उन्हें जमीन लीज पर छह महीने के लिए मिल जाती है. इस रेतीली जमीन पर कांटेदार झाड़ियां उगी होती हैं, जिन्हें साफ करना उनका सबसे पहला काम होता है. साफ सफाई के बाद खेती शुरू की जाती है. ये किसान मूल रूप से तरबूज, खरबूज, खीरा, बतिया जैसी बेल वाली सब्जियों की ही खेती करते हैं. महिलाएं भी इस काम में उनका सहयोग करती है.
लॉकडाउन ने बढ़ाई परेशानी
महिला किसानों ने कहा कि वे घर का काम निपटा कर खेत में आ जाती हैं और किसानों का हाथ बटाती हैं. सब्जियों और फलों को तोड़ना उनका मुख्य काम है. उन्होंने यहां की सब्जियों उत्तर प्रदेश, बंगाल, नेपाल और देश की राजधानी दिल्ली में भेजी जाती हैं, जिस वजह से उन्हें मुनाफा होता है. लेकिन कोरोना महामारी के कारण उन्हें इस बार काफी दिक्कत हो रही है. वे औने-पौने दामों पर लोकल मंडी में ही फल बेचने को मजबूर हैं.
प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने कही ये बात
इस संबंध में प्रखंड कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कुमार ने कहा कि रेतीली जमीन पर इस तरह सब्जियों की खेती करना वाकई सराहनीय है. बंजर भूमि को खेती के लिए इस्तेमाल करने वाले किसानों को पर्याप्त प्रोत्साहन मिलना और भी जरूरी है.
यह भी पढ़ें -
बिहारः PMCH में लाल खून के ‘काले धब्बे’, 15 यूनिट के लिए 60 हजार रुपये लिए; VIDEO VIRAL
बिहारः लालू यादव की यूपी-बिहार के बेटों से अपील, कहा- अपनी जीवनदायिनी गंगा मां को बचाओ