Kushwaha Statement: सांप्रदायिक हिंसा मामले पर कुशवाहा ने CM नीतीश से पूछे सवाल, कहा- ऐसी सरकार का कोई मतलब है?
Bihar Politics: रामनवमी जुलूस के दौरान बिहार में हुई घटना को लेकर प्रदेश की राजनीति गरमा गई है. इसको लेकर शनिवार को उपेंद्र कुशवाहा ने सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधा.
पटना: रालोजद सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) जेडीयू (JDU) अलग होने के बाद लगातार नीतीश सरकार पर हमला बोल रहे हैं. रामनवमी (Ram Navami) जुलूस के दौरान बिहार में हुई घटना को लेकर उन्होंने सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को आड़े हाथों लिया. उन्होंने शनिवार को कहा कि सीएम दावा करते थे कि बिहार में तनाव नहीं है लेकिन दो प्रमुख शहर उसमें एक सीएम का जिला भी है, जहां इस तरह की घटना हुई है. यह राज्य पुलिस की विफलता है. मुख्यमंत्री की रुचि अब प्रशासिनक कार्यों में नहीं रह गया है. वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के कार्यक्रम रद्द होने पर उन्होंने कहा कि सरकार अगर सुरक्षा नहीं दे सकती और कार्यक्रम के लिए शांति व्यवस्था नहीं रख सकती तो ऐसी सरकार का क्या मतलब है?
यह प्रशासन की विफलता है- उपेंद्र कुशवाहा
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि प्रत्येक साल रामनवमी में जुलूस निकालने का कार्यक्रम होता है. इसके बाद कुछ छिटपुट घटना को लेकर आशंका भी रहती थी इसके लिए प्रशासन को सजग रहने की जरूरत थी, जिससे की शहर का माहौल तनावपूर्ण न बने. प्रशासन की विफलता और कर्तव्यहीनता की वजह से इस तरह की घटना हुई है. सरकार अगर समाज में शांतिपूर्ण माहौल नहीं दे सकती तो ऐसी सरकार के रहने और नहीं रहने का कोई मतलब नहीं बनता है.
उपेंद्र कुशवाहा ने लोगों से की अपील
रालोजद सुप्रीमो ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अफवाह में नहीं आएं. तनाव ठीक नहीं है. लोग शांति और संयम से काम लें. आगे मुख्यमंत्री पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि अब साफ साफ दिखता है कि मुख्यमंत्री की रुचि प्रशासिनक कार्यों में नहीं रह गया है लेकिन जब तक वो सीएम हैं उतना दिन अच्छे से काम करना चाहिए. सीएम हमेशा कहते हैं कि हमने बहुत किया है.
'नीतीश कुमार की नहीं बची है साख'
कुशवाहा ने कहा कि कितना भी कोई कर ले लेकिन इसका मतलब यह थोड़े होता है कि अब नहीं करना है. सीएम नीतीश कुमार के भाव से साफ लगता है कि अब उनको सरकार के कार्यों में रुचि नहीं है. नीतीश कुमार इस सरकार में अपनी साख खो दिए हैं लेकिन जितना दिन संवैधानिक पद पर हैं, उतना दिन तो काम करें.