(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
जातीय जनगणना पर उपेंद्र कुशवाहा ने किया केंद्र का विरोध, कहा- JDU एलायंस में है, जरूरी नहीं BJP के साथ विचार मिले
Bihar Politics: उपेंद्र कुशवाहा रविवार को बक्सर, डुमरांव, बिहिया और भोजपुर समेत कई जगहों पर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कोलेजियम सिस्टम और जातीय जनगणना पर सवाल उठाए.
पटनाः जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा इन दिनों जिलों की यात्रा करने के लिए निकले हैं. रविवार को उन्होंने बक्सर, डुमरांव, बिहिया, भोजपुर समेत कई जगहों का दौरा किया. इस दौरान हर जगह वे पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओं और लोगों से भी मिले. इस दौरान उन्होंने डुमरांव के चौकियां में भगवान बुद्ध मंदिर में पूजा-अर्चना भी की.
यात्रा पर निकले उपेंद्र कुशवाहा ने कोलेजियम सिस्टम और जातीय जनगणना पर अपनी बात कही. उन्होंने बक्सर में जातीय जनगणना को लेकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट तक ने यह कह दिया है कि अगर योजना बनाई जा रही है तो वह किसके लिए बनाई जा रही है उसकी संख्या कितनी है यह बताई जाए. लेकिन उस तरह से जनगणना ही नहीं हुई है तो क्या बताया जाएगा? सरकार बता नहीं पाती है.
बीजेपी और जेडीयू अलग-अलग पार्टीः कुशवाहा
बहुत आवश्यक है कि जातीय जनगणना होनी चाहिए. हमारी पार्टी की पुरानी मांग है कि जातीय जनगणना की जाए. इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार की असहमति के सवाल पर कहा कि बीजेपी अलग पार्टी है और जेडीयू अलग पार्टी है. हमलोग एक पार्टी नहीं हैं. इसलिए विचार अलग-अलग हो सकते हैं. इसलिए इस मामले में हमारी राय उनसे अलग है.
बक्सर : उच्चतम न्यायालय सहित कई उच्च न्यायालयों ने केंद्र व राज्य सरकारों से कह चुकी है कि सरकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंद तक पहुंच सके इसके लिए जातीय जनगणना आवश्यक है। 1931 के बाद अभी तक जातीय जनगणना नही हुई है। हमारी पार्टी की यह पुरानी मांग है। pic.twitter.com/XOESxvmsO8
— Upendra Kushwaha (@UpendraKushJDU) July 25, 2021
कोलेजियम सिस्टम को लेकर एक बार फिर उन्होंने अपनी बात दोहराई. कहा कि जब तक कोलेजियम सिस्टम लागू रहेगा, गरीबों को न्याय नहीं मिले. जब वे केंद्र सरकार में मंत्री थे, उस समय भी कोलेजियम सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाते थे आज भी उठा रहे हैं. उनकी मांग है कि जिस तरह से आईएएस-आईपीएस व अन्य पदों की बहाली होती है, उसी तरह हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की बहाली भी खुली प्रतियोगिता से होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं होता है.
उन्होंने कहा कि पिछड़े और अतिपिछड़ों की कौन कहे, यहां तक कि सामान्य वर्ग का भी कोई बहुत मेधावी छात्र हो और यदि वह चाहे कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जज बने, तो भी वह नहीं बन सकता. वहां सिर्फ उत्तराधिकारी ही जज बन सकते हैं. चाचा-भतीजा, पिता-पुत्र ही जज बन रहे हैं.
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