पटना: जेडीयू के बागी नेता उपेंद्र कुशवाहा  (Upendra Kushwaha) ने अपनी पार्टी के कमजोर होने को लेकर कई सारी बातें कहीं हैं. साल 2025 में बिहार में चुनाव होने वाले हैं. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कई दफे कहा है कि तेजस्वी इस दौरान नेतृत्व करेंगे. इस पर कुशवाहा ने नाराजगी व्यक्त की और उनका कहना रहा कि क्या जेडीयू पार्टी में ऐसा कोई नहीं है जो आगे बिहार को लीड कर सके? द इंडियन एक्सप्रेस में दिए गए इंटरव्यू में कुशवाहा ने तेजस्वी को नेतृत्व दिए जाने के बाद जेडीयू के पतन की बात कही है. इसके साथ ही कई वजह भी बताई है और गहरे संकेत दिए हैं कि अगर तेजस्वी को आगे बढ़ाया गया तो जेडीयू का पूरी तरह से अंत हो सकता है.
 
आरजेडी के साथ हुई डील की बात पर चिंतित
 
उन्होंने कहा कि मैं तो अपनी ही पार्टी से कुछ गंभीर सवाल करता रहता हूं. साल 2021 के मार्च में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जेडीयू में विलय किया, तब वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के हिस्सा थे. इसके बाद यह महागठबंधन (आरजेडी के साथ) एक नए गठबंधन का हिस्सा बन गए. मेरे पास अभी भी बगावत करने का कोई मुद्दा नहीं था, लेकिन चिंता तब पैदा हुई जब दोनों के बीच किसी 'सौदे' की बात हुई. कुशवाहा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने तेजस्वी यादव को बिहार के भावी नेता के रूप में पेश करके मामले को उलझा दिया है.
 
जेडीयू के नेता और कार्यकर्ता भविष्य को लेकर आशंकित
 
कहा कि नीतीश कुमार के ऐसा करने से जेडीयू के नेता और कार्यकर्ता अपने फ्यूचर को लेकर आशंकित हो रहे हैं. दोनों ही पार्टी के विलय की बात चल रही है. मुख्यमंत्री ने तेजस्वी को लेकर मुझसे कोई बात नहीं की और अगर की होती तो मैं इसके लिए राजी नहीं होता. कहा कि मैं पार्टी का प्राथमिक सदस्य बनकर ही बहुत खुश हूं. जेडीयू आरजेडी के साथ गठबंधन करने में कुछ भी गलत नहीं है. हालांकि, तेजस्वी को भविष्य के नेता के रूप में पेश करना जेडीयू का अंत कहा जा सकता है क्योंकि जनता दल यूनाइटेड कुछ लोगों की पार्टी नहीं है. 
 
'कुढ़नी उपचुनाव में हार को लेकर हुई थी बात'
 
उपेंद्र कुशवाहा बोले कि समता पार्टी में विलय से पहले शरद यादव ने पार्टी का नेतृत्व किया जिसका गठन जॉर्ज फर्नांडीस ने किया था. बाद में नीतीश कुमार जैसे नेताओं ने इसका पोषण किया. हम जैसे कई कार्यकर्ताओं ने भी जेडीयू के विकास में काफी योगदान दिया है. मैंने पहली बार जेडीयू के कमजोर होने के मुद्दों को दिसंबर के तीसरे सप्ताह में मुख्यमंत्री नीतीश के साथ बैठक में उठाया था. कुढ़नी उपचुनाव में अपनी पार्टी की हार का मुद्दा उठाया और तर्क दिया कि पिछले तीन उपचुनावों में वोट शेयर उम्मीद के मुताबिक नहीं था. 
 
'मुख्यमंत्री मुझे आरजेडी के दबाव में लगे'
 
कुशवाहा ने नीतीश कुमार पर आरजेडी की ओर से पॉलिटिकल प्रेशर की बात कही है. उन्होंने कहा कि जब उपचुनाव में हार को लेकर बातचीत चल रही थी तब मैंने नीतीश जी से कुछ बातें कहीं थी जिसका मैं खुलासा नहीं कर सकता. एक बात मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि ऐसा लग रहा था कि वह आरजेडी के किसी तरह के दबाव में हैं. ऐसा फैसला एकतरफा नहीं लिया जा सकता है. जेडीयू के कमजोर होने की बात को भी उन्होंने खारिज कर दिया था जो मुझे अच्छा नहीं लगा. देखा जाए तो इसके बाद जगदानंद सिंह ने तेजस्वी के लिए नीतीश को सीएम की कुर्सी छोड़ने का भी सुझाव दे दिया था.
 
पार्टी अपने वोट बैंक के बिना नहीं चल सकती
 
जेडीयू नेता ने कहा कि मैंने पार्टी की सिद्धांतों के खिलाफ कुछ नहीं किया है. मैं अभी भी जेडीयू को मजबूत बनाने के लिए सोचता हूं और कार्य कर रहा हूं. कोई भी पॉलिटिकल पार्टी उनके वोट बैंक के बिना नहीं चल सकती है. जेडीयू ओबीसी, दलित और महादलितों का वोट धीरे-धीरे खो रही है. साल 2020 के चुनाव में इसका एक चेहरा भी दिखा था. बीजेपी ने किस तरह से जेडीयू को पीछे किया था. उन्होंने नीतीश कुमार के बीजेपी में डील होने की बात पर कहा कि मुझे ऐसा नहीं लगता. हा लोग जरूर इस बारे में बात कर रहे हैं. हालांकि उन्होंने कह दिया था कि वो बीजेपी के साथ फिर से नहीं जाएंगे.


‘जेडीयू पार्टी किसी के कंट्रोल में है’
 
कुशवाहा ने आगे आशंका जताते हुए कहा कि जेडीयू पार्टी किसी के कंट्रोल में है. मुख्यमंत्री खुद अपने डिसीजन नहीं ले पा रहे. वो मेरे खिलाफ कितने सारे बयान दे रहे हैं. मैं तो केवल जेडीयू को मजबूत करना चाहते हैं. मुझे तो ये भी नहीं पता कि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता मुझे क्यों बार-बार पार्टी छोड़ने के लिए कह रहे हैं. मेरे खिलाफ बयान दिए जा रहे. मैं तो अभी भी पार्टी को एकजुट करने में लगा हूं.


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