Inside Story: नागालैंड प्रकरण से सच साबित हो रही उपेंद्र कुशवाहा की बात! 'फेल' हुए ललन सिंह, CM नीतीश लेंगे फैसला?
Bihar Politics: नागालैंड पर नीतीश कुमार को भरोसा था. राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर लेने तक का दावा किया गया था. अब जो नतीजे आए हैं उससे दावे फेल होते दिख रहे हैं.
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पटना: नागालैंड (Nagaland) में जेडीयू (JDU) के एकमात्र विधायक ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) की सहमति के बिना बीजेपी (BJP) गठबंधन वाली सरकार को बगैर शर्त समर्थन दे दिया. इस पर जेडीयू के शीर्ष नेतृत्व में घमासान मच गया है. इसी के साथ जेडीयू के शीर्ष नेतृत्व ने नगालैंड में अपनी राज्य इकाई को भंग कर दिया. अब इसको लेकर बिहार में पार्टी के अंदर सियासी बवाल मचा है और निशाने पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (JDU Lalan Singh) हैं. वहीं दूसरी ओर हाल ही में पार्टी से इस्तीफा देकर गए उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) की बात सच होती दिख रही है.
टूट गया भरोसा?
दरअसल, नागालैंड पर नीतीश कुमार को भरोसा था. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने बड़े-बड़े दावे किए थे. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जयप्रकाश नारायण की 120वीं जयंती पर नागालैंड का दौरा किया था. नागालैंड में पार्टी की सफलता सुनिश्चित करने के लिए नीतीश कुमार ने खुद कई बार यात्रा की. उन्हें ललन सिंह को भरोसा था कि पार्टी को वहां सफलता मिलेगी. इतना ही नहीं बल्कि चुनाव आयोग में वे दावा कर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर लेंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इसको लेकर अब पार्टी के अंदरखाने में चर्चा हो रही है. सवाल है कि क्या नीतीश कुमार कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं?
सबसे पहले यह बयान पढ़िए
जेडीयू के पूर्वोत्तर मामलों के प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव आफाक अहमद खान की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है- "हमारी पार्टी के नागालैंड राज्य अध्यक्ष ने जेडीयू के केंद्रीय नेतृत्व से परामर्श किए बिना नगालैंड के मुख्यमंत्री को समर्थन पत्र दिया है जो उच्च अनुशासनहीनता और मनमाना कदम है. इसलिए जेडीयू ने नागालैंड में पार्टी की राज्य समिति को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है."
ललन सिंह को लेकर उठ रहे हैं सवाल
ऐसी चर्चा है कि नागालैंड प्रकरण के बाद ललन सिंह को लेकर सबकुछ ठीक नहीं हैं. इस चुनाव में ललन सिंह पर नीतीश कुमार को काफी भरोसा था लेकिन जिस तरीके के बयान दिए गए थे और जो दावे किए जा रहे थे उसको पार्टी पूरा नहीं कर सकी. कहा जा रहा है कि पार्टी के ज्यादातर कार्यकर्ता नाराज हैं. ललन सिंह के काम के स्टाइल से पार्टी के कार्यकर्ता खुश नहीं हैं. लव कुश समीकरण टूटता दिख रहा है. ऐसे में हो सकता है कि नीतीश कोई सियासी फैसला लें. क्योंकि आने वाले दिनों में 2024 और 2025 का चुनाव भी है.
आरसीपी सिंह और कुशवाहा कर रहे हमला
पार्टी के दो बड़े चेहरे थे कभी आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा जो इन दिनों बिहार में यात्रा कर रहे हैं. आरसीपी सिंह भी इस्तीफा दे चुके हैं और कुशवाहा ने भी हाल ही में पार्टी से साथ छोड़ दिया है. उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी में रहते हुए कई सवाल उठाए थे जिसका जवाब नहीं दिया गया था. अंत में पार्टी छोड़ दी. कुशवाहा ने यह बात कही थी कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है. उन्होंने आरजेडी के साथ डील को लेकर सवाल उठाया था. इस पर ललन सिंह भड़क गए थे. कहा तो यह भी जा रहा है कि ललन सिंह से ज्यादा अब कुशवाहा और आरसीपी सिंह की तरफ ग्रामीण इलाकों में कार्यकर्ताओं का झुकाव है. पार्टी के जमीनी नेता ललन सिंह से नाराज हैं.
बता दें कि 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए हाल में संपन्न हुए चुनाव में जेडीयू के ज्वेंगा सेब ने त्से मिन्यु सीट से जीत हासिल की है. उन्होंने अपने करीबी प्रतिद्वंद्वी आरपीआई (आठवले) उम्मीदवार लोगुसेंग सेम्प को 2,563 वोटों से हराया था. जेडीयू ने विधानसभा चुनाव में अपने आठ उम्मीदवार उतार थे. स्थानीय मीडिया के मुताबिक, नीतीश कुमार और पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह ने कथित तौर पर नगालैंड के अपने एकमात्र विधायक को जीत की बधाई नहीं दी थी.
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