हाजीपुर: सूबे की राजनीतिक गलियारों में फिर के बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी के विलय की चर्चा जोरों पर है. हालांकि, इस मुद्दे पर दोनों ही पार्टी के नेता खुलकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. बीते दिन बिहार के वैशाली पहुंचे आरएलएसपी सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा से जब उनके पार्टी के जेडीयू में विलय के चर्चाओं के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने गेंद जेडीयू के पाले में डाल दिया.
उपेंद्र कुशवाहा ने कही ये बात
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, " देखिए चर्चा तो मीडिया के लोग ही कर रहे हैं न. चर्चा जो लोग कर रहे हैं, उनसे सवाल पूछिए. मेरी ओर से तो कोई बात ही नहीं है. चर्चा मीडिया के लोग कर रहे हैं, तो इसमें बीच में हम कहां आते हैं. जेडीयू के लोग हैं, उनकी ओर से कुछ बात जरूर की जा रही है और बाकी मीडिया की चर्चा है. इसलिए इस बीच में तो हम कहीं हैं ही नहीं."
राजनीतिक गलियरों में है ऐसी चर्चा
दरअसल, ऐसे चर्चा है कि राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का अगले दो हफ्ते में जनता दल (यूनाइटेड) में विलय हो सकता है. इसके साथ ही, आरएलएसपी सुप्रीमो और पूर्व सांसद उपेन्द्र कुशवाहा को जेडीयू संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका दी जा सकती है. यह अन्य पिछड़े वर्गों से आने वाले कोयरी और कुर्मी समुदाय को एकजुट करने के बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विचारों के अनुरूप है.
गौरतलब है कि उपेंद्र कुशवाहा ने साल 2013 के मार्च महीने में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) का गठन किया था. एनडीए के घटक दल के तौर पर बिहार में कुशवाहा की पार्टी 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान 3 सीट जीतने में कामयाब भी रही. लेकिन, आरजेडी के सहयोगी के तौर पर 2019 लोकसभा चुनाव में आरएलएसपी के हाथ एक भी सीट नहीं लगी.
वहीं, बिहार विधानसभा 2020 में बसपा के साथ गठबंधन कर मैदान उतरी आरएलएसपी चुनाव में भी एक सीट तक नहीं जीत पाई. लेकिन कई सीटों पर उनसे जेडीयू को नुकसान पहुंचाया.
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