पटना: देश की सर्वोच्च परीक्षा यूपीएससी में पटना की अनुपमा सिंह ने पहले ही अटेम्प्ट में 90वां रैंक लाकर सिद्ध कर दिया है कि अगर हौसला बुलंद हो तो सफलता निश्चित है. मौजूदा समय में लोगों के मन में यह विचार बन गया है कि शादी और बच्चों के बाद लड़कियों का प्रॉफेसनल करियर प्रभावित होने लगता है, ऐसे में अनुपमा ने यह साबित कर दिया है कि अगर मन में चाह हो कोई भी काम किया जा सकता है.


यूपीएससी की परीक्षा में ऑल इंडिया 90वां रैंक लाने वाली अनुपमा ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत में बताया कि " अपने 3 साल के बेटे को छोड़ कर परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली जाना मेरे पूरे सफर की सबसे बड़ी चुनौती थी. इस पूरे सफर में मेरे पति और परिवार का मुझे भरपूर सहयोग मिला, इसके बिना यह बिल्कुल ही संभव नहीं था. खास कर मेरे पति रविन्द्र कुमार जो खुद डॉक्टर हैं, उन्होंने मुझे मेरे सपने को पूरा करने के लिए बहुत प्रोत्साहित किया और सब के सहयोग की वजह से आज यह संभव हो पाया है."


यूपीएससी के प्रति अपने लगाव कि चर्चा करते हुए अनुपमा ने बताया, " मैं मेडिकल की स्टूडेंट रही हूं, पीएमसीएच से मैंने एमबीबीएस किया, जिसके बाद मैंने तीन साल तक पहले पटना एम्स और फिर एनएमसीएच में काम किया. इस दौरान मुझे यह एहसास हुआ कि बतौर डॉक्टर आपकी अधिकार क्षेत्र सीमित होती है. एडमिनिस्ट्रेटिव बॉडी में आने के बाद आपके पास अधिकार होता है और आप जमीनी स्तर पर काम कर सकते हैं. इसलिए मैंने 2018 में हॉस्पिटल से रिजाइन कर यूपीएससी की तैयारी शुरू की."


अनुपमा ने बताया, " मेरा खास लगाव स्वास्थ्य विभाग के प्रति है और मैं चाहती हूं कि मुझे इस विभाग में काम करने का मौका मिले." बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था में वो क्या बदलाव चाहती हैं? इस सवाल पर अनुपमा ने कहा कि " मैं चाहती हूं कि बिहार ही नहीं पूरे देश के लिए स्वास्थ्य संबंधी एक गवर्नमेंट बिल पास हो और उसके तहत काम हो. खास कर बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है."