Viral Fever in Bihar: उत्तर प्रदेश से सटे गांवों में बुखार का कहर, गोपालगंज से रेफर किए जा रहे बच्चे
शिशु रोग विशेषज्ञ के नहीं होने की वजह से बीमार बच्चों को परिजन निजी क्लीनिकों में दिखाने को विवश हैं.सदर अस्पताल के पीकू वार्ड में अबतक दो से अधिक बच्चे नहीं पहुंचे. एसएनसीयू अस्पताल फुल है.
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गोपालगंज: उत्तर प्रदेश से सटे बिहार के गोपालगंज जिले के गांवों में इन दिनों वायरल बुखार का कहर है. गोपालगंज के भोरे, विजयीपुर, कटेया, पंचदेवरी और कुचायकोट प्रखंडों के अस्पतालों से हर रोज 50 से 60 बच्चे रेफर किये जा रहे हैं. रेफर किए गए बच्चों को पीकू वार्ड में भर्ती नहीं लिया जा रहा है. आईएसओ प्रमाणित मॉडल सदर अस्पताल के कर्मी शिशु रोग विशेषज्ञ के ड्यूटी पर नहीं होने का हवाला देकर बच्चों को गोरखपुर या पटना लेकर जाने के लिए सलाह दे रहे हैं.
बता दें कि बुखार से ग्रसित अधिकांश बच्चों में खांसी और सांस लेने में तकलीफ है. उधर, स्वास्थ्य विभाग की ओर से अबतक 11 बच्चों में डेंगू का लक्षण मिलने की पुष्टि की है. जिले में एईएस व जेइ के अलावा मलेरिया, कुपोषण और डायरिया से पीड़ित होकर अधिक बच्चे बीमार मिले हैं. वहीं, वायरल बुखार से अबतक आठ बच्चों की मौत हो चुकी है. इनमें थावे के बगहा निजामत गांव में तीन और बैकुंठपुर के महुआ व दिघवा उत्तर गांव के दो बच्चे शामिल हैं.
भोरे रेफरल अस्पताल में नहीं है इंतजाम
वायरल बुखार से बीमार बच्चों के इलाज के लिएरेफरल अस्पताल भोरे में इंतजाम नाकाफी है. उत्तर प्रदेश से इलाका सटा हुआ होने की वजह से यहां बीमार बच्चों की संख्या में हर दिन इजाफा हो रहा है. भोरे बाजार के निजी क्लीनिकों में परिजन बच्चों को दिखाने के बाद गोरखपुर लेकर जा रहे हैं. भोरे प्रखंड के भिंगारी बाजार, भवानी छापर, घाटी बाजार आदि गांवों में बच्चे बीमार हैं.
पैथोलॉजी जांच के बिना लिख रहे दवा
कुचायकोट प्रखंड के सासामुसा, सिरिसिया, फुलवरिया, काला मटिहनिया, करमैनी, जलालपुर, बलथरी आदि गांव में बच्चे बीमार हैं. सीएचसी में परिजन इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं. लेकिन ओपीडी में डॉक्टर बिना पैथोलॉजी जांच के ही दवा लिख रहे हैं. इससे बुखार से पीड़ित बच्चों के बीमारी के लक्षण का पता नहीं चल पा रहा है. बच्चों के अभिभावक इलाज को लेकर चिंतित हैं.
कटेया व पंचदेवरी में बुखार का कहर
कटेया व पंचदेवरी प्रखंड के विभिन्न गांवों में वायरल बुखार का कहर है. कटेया में रेफरल अस्पताल है, तो पंचदेवरी में पीएचसी. लेकिन दोनों जगह डॉक्टर नहीं हैं. शिशु रोग विशेषज्ञ के नहीं होने की वजह से बीमार बच्चों को परिजन निजी क्लीनिकों में फिजिशियन डॉक्टर व होमिपैथी डॉक्टर से दिखाने को विवश हैं. जमुनहां, गहनी दलित बस्ती, खालगांव, राजापुर से बीमार बच्चे अस्पताल पहुंच रहे हैं.
उचकागांव में चमकी लक्षण की बच्ची मिली
उचकागांव प्रखंड के मनबोध परसौनी गांव में चमकी लक्षण की एक बीमार बच्ची मिली. बीमार बच्ची को परिजन सदर अस्पताल के पीकू वार्ड में लेकर पहुंचे, जहां से ऑक्सीजन चढ़ाने के लिए इमरजेंसी वार्ड में भेज दिया गया. सोमवार की पूरी रात महिला ने बच्ची को गोद में लेकर ऑक्सीजन चढ़ाया. साहेब प्रसाद की पुत्री शारदा कुमारी को बुखार था. जिसके बाद शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ अग्रवाल से दिखाया गया. डॉक्टर ने बच्ची का लक्षण देख रेफर कर दिया.
पीकू वार्ड में सन्नाटा, एसएनसीयू फूल
सदर अस्पताल के पीकू वार्ड में अबतक दो से अधिक बच्चे नहीं पहुंचे. एसएनसीयू अस्पताल फुल है. निजी क्लीनिक में शिशु रोग विशेषज्ञ के यहां बेड फुल है. इन सब के बीच पीकू वार्ड में बीमार बच्चों को लेकर अभिभावक इलाज कराने क्यों नहीं पहुंच रहे हैं, इसपर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कभी मंथन नहीं किया. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय द्वारा उद्घाटन किये जाने के बाद से पीकू वार्ड में सन्नाटा है. बच्चों के परिजनों का कहना है कि डॉक्टर नहीं रहते हैं, इसलिए नर्सें भर्ती नहीं लेती हैं.
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