सुपौल: बिहार के सुपौल जिले में वायरल बुखार (Viral Fever) का कहर जारी है. अब तक दो बच्चों की मौत हो चुकी है. मृत बच्चों में तेज बुखार और नाक से खून आने जैसे लक्षण देखे गए हैं. इधर, सदर अस्पताल में इस तरह की बीमारियों के इलाज के लिए कोई खास व्यवस्था नहीं होने की वजह से परेशानी बढ़ गई है. व्यवस्था और डॉक्टरों की कमी की वजह से बच्चों का इलाज सही तरीके से नहीं हो पा रहा है.


प्राइवेट डॉक्टर से कराया इलाज 


मृत बच्ची के परिजन ने बताया कि रविवार को अचानक उनकी एक साल की बेटी को बुखार एवं सर्दी हुई, जिसके बाद वो बच्ची को लेकर सदर अस्पताल आए. लेकिन व्यवस्था की कमी के कारण सही तरीके से इलाज नहीं हो पाया, जिसके बाद उन्होंने बच्ची को प्राइवेट डॉक्टर से दिखाया. लेकिन फीवर उतरता ही नहीं था. इसी बीच सोमवार को फिर बच्ची की तबीयत बिगड़ गई. ऐसे में वे उसे लेकर अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. 


इलाज में लापरवाही करने की बात कही


इस पूरे मामले में परिजनों ने सदर अस्पताल के कर्मी पर सही जानकारी नहीं देने का आरोप लगाया. वहीं, व्यवस्था पर उंगली उठाते हुए इलाज में लापरवाही करने की बात कही. इधर, दूसरे बच्चे के पड़ोसी ने बताया कि बच्चे को अचानक तेज बुखार आया. घर में सिर्फ महिला होने की वजह से ग्रामीण चिकित्सक से इलाज करवाना शुरू किया गया. लेकिन तबीयत ठीक होने की जगह और बिगड़ने लगी. इस बात की जानकारी जब उन्हें मिली तो वे बच्चे को लेकर सदर अस्पताल पहुंचे, जहां ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों ने बच्चे की स्थिति को देखते हुए उसे डीएमसीएच (DMCH) रेफर कर दिया. लेकिन पैसों की व्यवस्था करने में देरी हो गई, जिस कराण बच्चे ने दम तोड़ दिया.


डॉक्टरों ने जांच की कही बात 


बताते चलें कि जिले में बीते दो दिनों में दो बच्चों की मौत हो चुकी है, जिसमें एक बच्चे ने सदर अस्पताल के वार्ड में दम तोड़ा, तो दूसरे ने अस्पताल के बरामदे पर. इस संबंध में सदर अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि मृत बच्चों लक्षण तो वाइरल फीवर के ही थे. लेकिन जांच के बाद ही कुछ स्पष्ट कहा जा सकता है.



यह भी पढ़ें -


Bihar Politics: तेजस्वी यादव के झारखंड दौरे पर सुशील कुमार मोदी का हमला, 'बिहार का अपमान करने वाले से मिला रहे हाथ'


ISI के आतंकी पकड़े जाने के बाद बिहार में अलर्ट, 13 जिलों के एसपी व रेल पुलिस को सख्त निर्देश