Bihar News: चौकीदारों ने SHO के खिलाफ खोला मोर्चा, कहा- हम देते हैं शराब तस्करी की सूचना, थानाध्यक्ष कर लेते हैं डील
धरना पर बैठे चौकीदारों ने कहा, " सरकार हमें शराब की सूचना देने को कहती है. हम लोग सूचना देते भी हैं, लेकिन नाम थानेदार कमाते हैं. वहीं, तस्करों से डील भी कर लेते हैं."
पटना: बिहार में शराबबंदी कानून को लागू हुए पांच साल से भी अधिक वक्त बीत चुका है. फिर भी कानून पूर्ण रूप से लागू होता नहीं दिख रहा. ऐसे में बीते दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने आदेश जारी किया है कि अब अगर किसी भी थाना क्षेत्र में शराब बरामद होगी, तो उस क्षेत्र के चौकीदार को निलंबित कर दिया जाएगा. वहीं, थानाध्यक्ष पर भी कार्रवाई होगी. मुख्यमंत्री के इस आदेश के बाद चौकीदारों ने थानाध्यक्षों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
समर्थन देने पहुंचे पप्पू यादव
बिहार चौकीदार और दफादार संघ पटना के गर्दनीबाग में बीते 21 दिसंबर से दो दिवसीय धरने पर हैं. इसी क्रम में बुधवार को जाप सुप्रीमो पप्पू यादव (Pappu Yadav) भी चौकीदारों के समर्थन में धरना स्थल पर पहुंचे और उनके साथ मिलकर सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ने का आश्वासन दिया. इस दौरान चौकीदारों ने शराबबंदी कानून की विफलता में एसएचओ की भूमिका का खुलासा किया. चौकीदारों ने बताया कि शराब माफिया के सॉफ्ट टारगेट चौकीदार ही हैं. लेकिन थानाध्यक्ष उन्हें सहयोग करने के बजाय मरने के लिए छोड़ देते हैं.
चौकीदारों की हो रही हत्या
उन्होंने कहा, " हम थाने में शराब कारोबारी की सूचना देते हैं. इस बात को गुप्त रखना चाहिए. लेकिन कई थानों में देखा गया है कि चौकीदार की सूचना पर पुलिस शराब कारोबारी को गिरफ्तार तो करती है. लेकिन शराब माफियाओं को यह भी बता दिया जाता है कि किस चौकीदार ने सूचना दी थी. इसके बाद शराब माफिया चौकीदार की हत्या कर देते हैं. साल 2021 में बिहार में चार चौकीदारों और एक चौकीदार के भाई की हत्या की गई. वहीं, दो चौकीदारों के साथ घर में घुस कर मारपीट किया गया. सभी चौकीदारों ने शराब माफिया की सूचना दी थी.
घर का काम कराते हैं अधिकारी
चौकीदारों ने बताया कि पहले वे जिलाधिकारी के अधीन थे और अंचलाधिकारी द्वारा उनका पेमेंट होता था. लेकिन 2019 की नई नियमावली के अनुसार वे पुलिस विभाग के अधीन हो गए. इस कारण थानाध्यक्ष से लेकर डीएसपी-एसपी तक उनसे घरेलू काम कराते हैं. उन्होंने कहा, " सरकार हमें शराब की सूचना देने को कहती है. हम लोग सूचना देते भी हैं, लेकिन नाम थानेदार कमाते हैं. वहीं, तस्करों से डील भी कर लेते हैं."
चौकीदारों ने मांग की, कि उनसे सूचना लिखित रूप में ली जाए और थानाध्यक्ष उन्हें रसीद दें. साथ ही चौकीदारों ने पुरानी नियमावली को लागू करने की मांग की, जिसमें लिखित सूचना थानाध्यक्ष और अंचलाधिकारी दोनो को देने का प्रावधान था. ताकि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रहे.
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