बिहार के पहले एक्सप्रेस वे के निर्माण का रास्ता हुआ साफ, औरंगाबाद से जयनगर तक बनेगी फोरलेन सड़क
यह फोरलेन सड़क औरंगाबाद के मदनपुर से गया एयरपोर्ट होते हुए जहानाबाद, नालंदा की सीमा को टच करेगी और वहां से पटना के कच्ची दरगाह के पास आकर मिलेगी.
औरंगाबाद: बिहारवासियों के साथ-साथ औरंगाबाद के लोगों की लंंबे समय से प्रतीक्षित मांग अब पूरी होने वाली है. दरअसल, भारतमाला योजना के तहत औरंगाबाद के मदनपुर से जयनगर तक 271 किलोमीटर का फोरलेन सड़क बनने का रास्ता साफ हो गया है. ऐसे में बिहार का पहला एक्सप्रेस वे कुछ ही वर्षों में लोगों को समर्पित होगा.
जिलाधिकारियों को भेजा जाएगा पत्र
इस संबंध में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के क्षेत्रीय परियोजना प्रबंधक कर्नल चंदन वत्स ने बताया कि प्राधिकरण की भू अर्जन समिति ने सड़क निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण की मंजूरी दे दी है. अब शीघ्र ही सड़क निर्माण को लेकर भूमि अधिग्रहण की सूचना औरंगाबाद, गया, जहानाबाद, नालंदा, पटना और दरभंगा जिले के जिलाधिकारियों को पत्र भेजा जाएगा.
इसी वर्ष शुरू हो सकता है काम
अगर सब कुछ ठीक रहा तो बिहार के पहले एक्सप्रेस वे के निर्माण का कार्य इसी वित्तीय वर्ष के मार्च माह से शुरू हो जाएगा. उन्होंने बताया कि भारतमाला योजना के अंतर्गत बनने वाली यह सड़क ग्रीन फील्ड सड़क होगी जिसकी 80 फीसदी भाग नई सड़क होगी. यह फोरलेन सड़क औरंगाबाद के मदनपुर से गया एयरपोर्ट होते हुए जहानाबाद, नालंदा की सीमा को टच करेगी और वहां से पटना के कच्ची दरगाह के पास आकर मिलेगी.
दरभंगा से जयनगर तक बनेगी सड़क
उन्होंने बताया कि पटना से यह सड़क वैशाली के बिदुपुर के सिक्स लेन पुल से होते हुए चकसिकंदर, महुआ और समस्तीपुर से ताजपुर तक जाएगी. फिर वहां से यह सड़क दरभंगा एयरपोर्ट होते हुए जयनगर तक पहुंचेगी. गौरतलब है कि पहले इस सड़क को औरंगाबाद से दरभंगा तक ही बनाया जाना था और अभी पहले चरण में दरभंगा तक बनाने की अनुमति प्राप्त हुई है लेकिन इसे विस्तारित करते हुए सड़क को दरभंगा से जयनगर तक जोड़ा गया है और इसकी मंजूरी दूसरे चरण में प्राप्त होगी.
100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेंगी गाड़ियां
चंदन वत्स ने बताया कि यह सड़क इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के आधार पर बनाया जाएगा, जिस पर 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गाड़ियां दौड़ सकेंगी. यह सड़क इकोनामिक कॉरिडोर के तहत बनाई जा रही है जो पूर्णत: भारतीय तकनीक पर आधारित होगी और इसकी गुणवत्ता भी विश्वस्तरीय होगी. इस सड़क के निर्माण के बाद बिहार की ट्रैफिक समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी और लोगों को सरल, सहज और सुगम आवागमन उपलब्ध होगा.
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