गया: सूबे में साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में सभी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति तैयार करने में लगी हुई है. इसी क्रम में सोमवार को बिहार के पूर्व सीएम सह हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने अपने आवास पर मीडिया से बातचीत के कहा, " राजनीति सम्भावनाओं का खेल है. कौन, कब, कहां किस पार्टी में जाएगा यह कहा नहीं जा सकता है. खासकर चुनाव के समय."


जीतन राम मांझी कहा, " 20 अगस्त को पार्टी के कोर कमिटी की बैठक होगी, उसमे निर्णय होगा कि क्या करना है, चूंकि हमारे सामने बहुत विकल्प हैं. ओवैसी के साथ मियां-भुईयां एक विकल्प है, बसपा के साथ जाने का भी विकल्प है. अगर आरजेडी कांग्रेस को ज्यादा सीट नहीं देती है तो कांग्रेस और हम पार्टी का भी विकल्प है. अगर सम्मानजनक सीट मिलने की बात आती है तो नीतीश कुमार के साथ भी गठबंधन करने की बात हो सकती है."


पार्टी के विलय पर उन्होंने कहा कि पार्टी का विलय नहीं होगा. हम ऐसी स्थिति में नहीं है. अगर कहीं भी जाएंगे तो पार्टनर के रूप में, घटक दल के रूप में जाएंगे. 20 अगस्त को फैसला लेंगे कि किसके साथ हमें जाना है.


जीतन राम मांझी ने कहा, " श्याम रजक का आरजेडी में शामिल होना कोई विचित्र बात नहीं है. अगर नीतीश कुमार या आरजेडी से किसी प्रकार की कोई बात थी तो पहले बोलते. चुनाव के समय ऐसा फैसला लेना कहीं ना कहीं स्वार्थ दिखाता है."


उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, " पहले सत्ता भोग लो अंतिम समय में कुछ भी कह कर निकल लो, यह उचित नहीं है. अगर कोई आदमी खराब है तो आज खराब नहीं है वर्षों से खराब होगा. तो अच्छा-बुरा का निर्णय पहले हो जाना चाहिए था. चुनावी समय में ऐसा निर्णय लेना सही है. अतिपिछड़ों के आरक्षण को लेकर कई बातें चल रही हैं. उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है. आज अतिपिछड़ो को नेगलेट किए हैं, अगर पहले से कर रहे थे तो पहले श्याम रजक ने यह निर्णय क्यों नहीं लिया."


नियोजीत शिक्षकों के लिए सरकार की ओर से की गई घोषणा के संबंध में उन्होंने कहा, " मान लेते हैं नीतीश कुमार ने चुनाव को लेकर ही नियोजित शिक्षकों की मांग पूरी की है. ऐसे में भी हम कहेंगे कि नीतीश कुमार अच्छा काम कर रहे हैं. अनुसूचित जाति के सामने 4-5 वाइटल मुद्दे हैं. इसके लिए हम आरक्षण की मांग करते रहे हैं."


मांझी ने कहा, " इस पर विधानमंडल में विधायकों की जब बैठक हुई तो महागठंबधन के प्रदेश अध्यक्ष तेजश्वी यादव और लालू यादव कुछ नहीं बोले. वहीं सुशील मोदी खुलकर बोले. तो जो हमारे मुद्दे के नजदीक जो रहेगा, उसे हम जरूर बोलेंगे की वो अच्छा काम कर रहा है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अभी एनडीए में हैं."