पटना: बिहार विधानसभा का बजट सत्र जारी है. मंगलवार को सदन में आरजेडी विधायकों ने पुरानी पेंशन योजना को राज्य में फिर से लागू करने की मांग की. पार्टी विधायक भाई विरेंद्र, आलोक मेहता, राहुल तिवारी, हरिशंकर यादव सहित अन्य विधायक ने बिहार विधानसभा परिसर में जमकर प्रदर्शन किया. आलोक मेहता ने कहा कि राजस्थान सहित कई अन्य प्रदेशों में नई पेंशन योजना के जगह पर पुरानी पेंशन योजना लागू की जा रही है. ऐसे में बिहार में भी ऐसा होना चाहिए. सरकार इस पर जल्द विचार करे.


साल 2003 में खत्म हुई थी योजना


बता दें कि साल 2003 में मौजूदा अटल सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को समाप्त कर दिया था. वहीं, साल 2004 में नई पेंशन योजना (NPS) लागू की गई थी. वहीं, बिहार में ये योजना साल 2005 में लागू की गई थी. दरअसल, ऐसा करने के पीछे केंद्र सरकार के पास वित्तीय कारण थे. सरकार को पेंशनधारियों की जिम्मेदारी से राहत मिले इसलिए नई स्कीम लागू की गई थी. साल 2000 में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी, जिसके मुताबिक भारत का पेंशन कर्ज बेकाबू स्तर पर पहुंच रहा था. ऐसे में इसे काबू करने के लिए सरकार ने एनपीएस लागू करने का फैसला लिया था. 


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बता दें कि नई पेंशन योजना में सरकारी कर्मी ये तय कर सकते हैं कि वे अपने पूरे वर्क लाइफ में पेंशन खाते में नियमित रूप से कितना योगदान करना चाहते हैं और योगदान करके अपना पैसा कहां निवेश करना चाहते हैं. वहीं, उन्हें ये फैसला करने की भी आजादी है कि रिटायरमेंट के बाद वे पेंशन राशि का एक हिस्सा एकमुश्त निकाल सकते हैं. वहीं, बाकी का इस्तेमाल इंवेस्टमेंट के लिए कर सकते हैं. हालांकि, इस योजना के तहत उनके सैलरी से पैसे की कटौती होती है. 


क्या है पुरानी पेंशन योजना


हालांकि, पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी के सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी. साथ ही इस योजना में जीपीएफ की भी सुविधा होती थी. साथ ही रिटायरमेंट के समय की सैलरी की करीब आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी. आसान शब्दों में कहें तो अगर रिटायरमेंट के समय किसी की सैलरी पचास हजार रुपये है तो उसे 25 हजार रुपये पेंशन के तौर पर मिलते थे.


जबकि, नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी की ही सैलरी से 10 फीसदी की कटौती की जाती है. वहीं, इसमें 14 फीसदी हिस्सा सरकार मिलाती है. लेकिन इस स्कीम में जीपीएफ की सुविधा नहीं है. ना ही निश्चित पेंशन की कोई गारंटी है. इस योजना में आने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पूरी रकम मिलने के बाद बेसिक सैलेरी का करीब 50 परसेंट हिस्सा पेंशन के तौर पर मिलता है. 


ऐसे में अगर पुरानी पेंशन योजना लागू होती है तो सरकारी कर्मियों को निम्न फायदे मिलेंगे -


- सैलरी में कटौती नहीं होगी


- जीपीएफ की सुविधा मिलेगी


- निश्चित पेंशन की गारंटी होगी


- पेंशनधारी की मौत के बाद उनके आश्रितों को भी लाभ मिलेगा


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