सीतामढ़ी: कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप की वजह से हर कोई परेशान है. पिछले एक साल से कारोबार प्रभावित होने की वजह से कारोबारी निराश हो गए हैं. काम-धंधा चौपट होने से लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. परिवार का पेट पालने के लिए उन्हें काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. लेकिन बिहार के सीतामढ़ी जिला के रहने वाले मुकेश कुमार ने कोरोना रूपी आपदा को अवसर में तब्दील क्षेत्र के लोगों के लिए मिशाल पेश की है.
कोरोना काल में राज्य सरकार और जिला प्रशासन की मदद से मुकेश उनलोगों के लिए एक प्रेरणा बन गया है, जो कोरोना काल में व्यवसाय प्रभावित होने से चिंतित हैं या नौकरी छूट जाने के बाद दर-दर भटक रहे हैं.
आत्मनिर्भर बनकर पेश की मिशाल
दरअसल, राज्य सरकार ने कोरोना काल में राज्य वापस लौटे प्रवासियों को सुविधा देने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की है. प्रवासी योजनाओं का लाभ उठा कर आत्मनिर्भर बन सकें, सरकार का यह मकसद है. इन्हीं योजनाओं का मुकेश ने लाभ उठाया है. सीतामढ़ी के डुमरा प्रखंड के सिमरा गांव का रहने वाला मुकेश 10 दस वर्षों से दिल्ली में काम करता था. लेकिन पिछले साल कोरोना काल में लगे सम्पूर्ण लॉकडाउन में वो जिस कंपनी में काम करता था, उसके दरवाजे मजदूरों के लिये बंद कर दिए गए.
घर लौटने के बाद मुकेश निराश रहने लगा. उसके और उसकी पत्नी के लिए परिवार की नैया खींचना एक गंभीर समस्या बन गया. तब मुकेश ने सोचा कि क्यों नहीं अपने ही घर में चप्पल निर्माण की छोटा सी फैक्ट्री खोली जाए. लेकिन इस काम में आर्थिक समस्या सामने आ रही थी.
पति-पत्नी को मिला डीएम का साथ
इस समस्या के समाधान के लिए मुकेश औए उसकी पत्नी डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा से मिले. डीएम ने पहल कर स्वयं सहायता समूह और अन्य माध्यमों से मुकेश को आर्थिक मदद पहुंचाई. मुकेश के जीवन का यह टर्निंग पॉइंट था. चप्पल की फैक्ट्री खोलने के बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. अब उसके कारोबार के एक वर्ष होने को है. कारोबार अच्छा चल रहा है. उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी है.
मुकेश की पत्नी वीणा देवी बेहद खुश है. उक्त कार्य में वो भी पति का सहयोग करती है. बता दें कि मुकेश के बनाए गए चप्पल गुणवत्तापूर्ण होने की वजह से सीतामढ़ी और पड़ोसी जिला शिवहर में खूब बिक रहे हैं.
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