पटना: बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर (Chandrashekhar) और विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक (KK Pathak) के बीच तकरार इस कदर बढ़ गई है कि दफ्तर में चैंबर लॉक है. शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने ऑफिस आना छोड़ दिया है. करीब 23 दिन से चंद्रशेखर ने शिक्षा विभाग की किसी बैठक में हिस्सा नहीं लिया है. यहां तक कि निरीक्षण, प्रतिवेदन, एक्शन कार्य से भी उन्होंने दूरी बना ली है. एबीपी न्यूज़ ने सोमवार (31 जुलाई) को ग्राउंड से जाकर सब कुछ देखा जिसमें कई तरह की बातें निकलकर सामने आईं.


एबीपी न्यूज़ की टीम शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विभागीय कार्यालय पहुंची. सोमवार को भी शिक्षा मंत्री कार्यालय नहीं आए थे. दफ्तर लॉक था. एक कर्मचारी ने कहा कि वह घर से ही काम करते हैं. अपर मुख्य सचिव केके पाठक दफ्तर आए हुए थे. उनकी सरकारी गाड़ी बाहर लगी थी. शिक्षा मंत्री के सरकारी आवास पर एबीपी न्यूज़ की टीम पहुंची तो गेट अंदर से लॉक था. सूचना दी गई कि मंत्री चंद्रशेखर दो दिन से अपने क्षेत्र मधेपुरा में हैं.


शिक्षा विभाग का कामकाज ठप, नीतीश जिम्मेदार?


इस पूरे मामले पर बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार 2025 तक सीएम बने रहने के लिए मंत्री और अधिकारियों के बीच झगड़ा कराते रहते हैं. शिक्षा विभाग समेत किसी भी मंत्रालय से नीतीश को मतलब नहीं. बस अपनी कुर्सी सुरक्षित रखने के लिए यह सब नीतीश करा रहे हैं. शिक्षा विभाग का कामकाज ठप हैं. नीतीश जिम्मेदार हैं.


तबीयत ठीक नहीं होगी...


बिहार सरकार में मंत्री और आरजेडी के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र राम पूरे मामले से बेखबर दिखे. उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की तबीयत ठीक नहीं होगी या किसी व्यक्तिगत काम में व्यस्त होंगे इसलिए ऑफिस नहीं जा रहे होंगे. घर से मंत्रालय का कामकाज कर रहे हैं. वह बहुत सुलझे हुए इंसान हैं. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक भी बहुत जानकार और अच्छे अधिकारी हैं. दोनों के बीच कोई तकरार नहीं है. सब कुछ ठीक है. दोनों के बीच तालमेल है. उसी अनुसार काम हो रहा है.


क्या है मामला?


मंत्री चंद्रशेखर ने नाराज होकर इसी महीने की शुरुआत में केके पाठक को पीत पत्र भेजा था. शिक्षा मंत्री के हवाले से उनके सरकारी आप्त सचिव कृष्णानंद यादव ने विभाग के अपर मुख्य सचिव को पीत पत्र लिखा था. पीत पत्र के जरिए शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए थे. बिहार सरकार के नियमों के मुताबिक काम नहीं करने का आरोप लगाया था. पीत पत्र में पाठक पर आरोप लगाया गया था कि मंत्री से बातचीत किए बिना वे विभाग के महत्वपूर्ण फैसले ले रहे हैं.


इसके बाद केके पाठक की ओर से शिक्षा विभाग ने पीत पत्र का जवाब भी पत्र के जरिए ज्यादा तल्ख तेवर में दिया. इतना ही नहीं, शिक्षा विभाग में शिक्षा मंत्री के आप्त सचिव की मंत्रालय में एंट्री पर भी पाबंदी लगा दी गई. इससे चंद्रशेखर और नाराज हो गए. केके पाठक को जून में ही शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया गया है. तेज तर्रार और कड़क आईएएस अधिकारी हैं. लगातार ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं. स्कूलों में निरीक्षण का कार्य चल रहा है. औचक निरीक्षण के दौरान बिना सूचना के अनुपस्थित पाए गए शिक्षकों का वेतन अगले आदेश तक के लिए रोक दिया गया है. केके पाठक ने कर्मियों के जींस-टीशर्ट पहनकर कार्यालय आने पर भी प्रतिबंध के आदेश दिया है.


केके पाठक के आदेश पर शिक्षकों की लेटलतीफी पर लगाम लगाने के लिए राज्य के माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति बायोमीट्रिक सिस्टम से शुरू की गई है. प्रारंभिक विद्यालयों के शिक्षक मोबाइल एप से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को कहा गया है. केके पाठक ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को आंदोलनकारी शिक्षकों की पहचान कर कार्रवाई करने का भी निर्देश दे दिया है. केके पाठक जिस तेजी से फैसले ले रहे हैं उससे हड़कंप मच गया है. शिक्षा मंत्री को लगा रहा है कि उनकी अनदेखी हो रही है. 


बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं चंद्रशेखर


शिक्षा मंत्री बनने के बाद से चंद्रशेखर अपने बयानों को लेकर विवादों और सुर्खियों में थे. लगातार रामचरितमानस पर टिप्पणी कर रहे थे जिससे विवाद हो रहा था. रामचरितमानस को नफरत फैलाने और समाज को बांटने वाला ग्रंथ बता रहे थे. नियुक्ति की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे शिक्षक अभ्यर्थियों पर भी गलत बयानबाजी की थी. विभाग के काम पर ध्यान नहीं देने का आरोप उन पर लग रहा था. शिक्षा विभाग सवालों के घेरे में था. इसी बीच नीतीश ने केके पाठक को अपर मुख्य सचिव बना दिया. 


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