यहां जानें- कौन हैं खेती से JDU प्रदेश अध्यक्ष तक का सफर करने वाले रामसेवक सिंह?
राम सेवक सिंह ने मुखिया से मंत्री तक का पूरा किया सफर.पढ़ाई छोड़ कर पहले की खेती, फिर संभाला दवा का कारोबार.CM नीतीश के सानिध्य में आने के बाद राजनीति को बना लिया कैरियर.
पटना: पूर्व मंत्री और विधायक रामसेवक सिंह जेडीयू के अगले प्रदेश अध्यक्ष होंगे. पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक से ठीक एक दिन पहले पार्टी ने यह फैसला लिया है. बता दें कि बिहार के गोपालगंज जिले के उचकागांव थाने के बलेसरा ग्राम पंचायत के आसनंदपुर गांव निवासी रामसेवक सिंह तीन भाइयों में बीच के हैं. हथुआ स्थित गोपेश्वर कॉलेज से इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे खेती करने लगे थे. बाद में उन्होंने अपने पिता की दवा का कारोबार संभाल लिया. लेकिन वर्ष 1998 में वो जेडीयू नेता नीतीश कुमार के सानिध्य में आये और राजीनीति को अपना कैरियर बना लिया.
साल 2001 में शुरू किया सियासी सफर
रामसेवक सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत साल 2001 में हथुआ विधानसभा क्षेत्र के बलेसरा पंचायत के मुखिया पद पर चुनाव लड़ कर किया. मुखिया के चुनाव में 170 वोट से जीत हासिल करने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और लगातार राजनीति की उंचाईयों को छुआ.
चार बार जीत चुके हैं चुनाव
साल 2005 के फरवरी में पहली बार हथुआ विधानसभा क्षेत्र से आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के गृह विधानसभा क्षेत्र से जेडीयू की टिकट पर 7700 वोटों से उन्होंने चुनाव जीता. उसके बाद उसी वर्ष अक्टूबर माह में हुए मध्याविध चुनाव में 8 हजार वोटों से फिर से चुनाव जीता. तमाम विरोधाभासों के बावजूद वर्ष 2010 में उन्होंने 22 हजार वोटों से चुनाव जीता.
फिर 2015 में तमाम राजनीतिक पंडितों के आकलन को गलत साबित करते हुए उन्होंने 23 हजार वोट से लगातार चौथी बार चुनाव में जीत सुनिश्चित की. चुनाव दर चुनाव उनके जीत का अंतर बढ़ता गया. व्यवहार कुशलता रामसेवक सिंह का कुशवाहा वोटरों सहित क्षेत्र की जनता पर मजबूत पकड़ रहा है. वहीं, अपनी पार्टी जेडीयू के प्रति उनकी निष्ठा शुरू से ही रही.
पार्टी में कई जिम्मेदारियों को निभा चुके हैं रामसेवक
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे विश्वासपात्र के रूप में संगठन के नीति निर्धारण में रामसेवक की मजबूत भूमिका रही है. विधानसभा में सतारूढ़ दल के सचेतक, झारखंड में जेडीयू का प्रदेश प्रभारी और जेडीयू के राष्ट्रीय सचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर उन्होंने अपनी जिम्मेदारी निभाई है. हालांकि, झारखंड में भी जेडीयू का सिक्का नहीं चला.
साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में जेडीयू प्रत्याशी डॉ.आलोक कुमार सुमन की भारी जीत में भी रामसेवक सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा. समाज कल्याण मंत्री रामसेवक सिंह को लगातार चार बार चुनाव जीतने के बाद 2020 विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में वे सरकार की साख को नहीं बचा पाये.
भाई संभालते हैं कारोबार, तो बेटा डॉक्टर
पूर्व समाज कल्याण मंत्री रामसेवक सिंह के दो भाई कारेाबर संभालते हैं. वहीं, उनके बड़े भाई रामाश्रय सिंह खेती के साथ कारोबार और छोटे भाई राजेंद्र सिंह दवा का दुकान संभालते है. वहीं, उनका बड़ा बेटा पप्पू कुमार एमबीबीएस करने के बाद आइजीएमएस में पोस्टेड है. छोटा बेटा राजू कुमार एमबीबीएस में इंटर्नशिप कर रहा है. वहीं, पत्नी गृहणी हैं.
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