Bihar Politics: बिहार (Bihar) में फिर एक नया राजनीतिक समीकरण बनने जा रहा है. कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) बीजेपी (BJP) के एनडीए (NDA) से अलग हो जाएंगे. संभावना जताई जा रही है कि उनकी सरकार में महागठबंधन शामिल हो सकता है. इस समय बिहार में राजनीतिक पारा एकदस गर्म है. राजधानी में बैठकों का दौर जारी है.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है. राज्यपाल से मिलने के बाद ही राज्य में बनने वाली सरकार की तस्वीर साफ हो जाएगी. आइए जानते हैं कि बिहार में हमेशा से बड़े भाई की भूमिका में रहने वाला जदयू यहां तक कैसे पहुंचा है. 


बिहार में बड़ा भाई , छोटा भाई


बिहार में जनता दल (यूनाइटेड) जेडीयू हमेशा से ही बड़े भाई की भूमिका में रही है. वह हमेशा से बीजेपी से ज्यादा सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ती रही है. लेकिन 2020 में इसमें थोड़ा बदलाव आया था. उस साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने टिकट बंटवारे में लगभग आधी सीटें हथिया ली थीं. उसने एक तरह से जदयू को आधी सीटों पर नीतीश को समझौता करने के लिए मजबूर कर दिया था.


इसके बाद बिहार में बड़ा खेल शुरू हुआ.चुनाव के दौरान ही जेडीयू नेताओं ने आरोप लगाया कि बीजेपी के इशारे पर ही चिराग पासवान ने उन सभी सीटों पर एलजेपी के प्रत्याशी खड़े कर दिए जहां उनको नुकसान पहुंचाया जा सके. चुनाव परिणाम भी वैसा ही रहा. जदयू 45 सिमट पर गई और बीजेपी 77 सीटें जीतने में सफल रही है. नतीजों के बाद बीजेपी नेताओं ने इस बात की मांग भी तेज कर दी कि मुख्यमंत्री उसका ही होना चाहिए. लेकिन बीजेपी ने अपने वादे के तहत मुख्यमंत्री की कुर्सी नीतीश कुमार को सौंप दी.   


नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार


इसके बाद भी दोनों दलों की टकराहट कम नहीं हुई. रही सही कसर केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार ने पूरी कर दी. बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने जदयू को केंद्रीय कैबिनेट में उसे दो सीटें देने का वायदा किया था. लेकिन नीतीश कुमार के दिल्ली पहुंचने पर उन्हें एक सीट पर ही संतोष करने को कहा गया. यह दोनों दलों के बीच आई खटास का एक बड़ा कारण बना. 


बीजेपी और नीतीश के रिश्तों में दरार


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांग करते रहे हैं.लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले बीजेपी की सरकार ने उसपर अबतक कोई फैसला  नहीं लिया है. बीजेपी और जदयू के रिश्तों में आई खटास को इस बात से भी समझ सकते हैं कि विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा पर सदन के अंदर ही आरोप लगाए थे. और उन्हें कई तरह की नसीहतें दे दी थीं. 


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