पटना: देश भर में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर कहर बरपा रही है. बिहार में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. स्वास्थ्य विभाग स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही है. हालांकि, इसी बीच ये चर्चा उठ रही है कि पटना के कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल एम्स, पटना के रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर जा सकते हैं. ये चर्चा इसलिए उठ रही है क्योंकि मंगलवार को अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार ने एम्स के डायरेक्टर को रेजिडेंट डॉक्टरों की ओर से एक पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने चार मांग की है और उन मांगों पर विचार करने के लिए पांच दिन का समय दिया है. 


रेजिडेंट डॉक्टरों ने की ये मांग


पत्र में कहा गया है कि अस्पताल प्रशासन रेजिडेंट डॉक्टर की मांगों पर पांच दिनों के अंदर विचार करे और कोई फैसला ले. ऐसा नहीं होने पर डॉक्टर कोठार कदम उठाने को मजबूर होंगे. बता दें कि रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन की ओर से जो मांगें की गई हैं, उनमें होस्टल रूम की बढ़ी हुई बिजली बिल, कोरोना वार्ड में ड्यूटी करने के बाद डॉक्टरों को 7 दिनों की लीव, कोरोना वार्ड में ड्यूटी पर लगे डॉक्टरों के लिए अस्पताल के हॉस्टल में रूम की उपलब्धता और मेस में खाने से जुड़े समस्याओं से अस्पताल प्रशासन को अवगत कराया गया है. 


डॉक्टरों की मांग है कि अस्पताल प्रशासन हॉस्टल रूम की बढ़ी हुई बिजली के दरों को वापस ले. साथ ही कोरोना वार्ड में लगातार ड्यूटी करने के बाद डॉक्टर को सात दिनों की छुट्टी देने की भी मांग की गई है. इसके अतिरिक्त कोरोना वार्ड में ड्यूटी पर लगे डॉक्टरों के परिजन सुरक्षित रह सके, इस बाबत वैसे डॉक्टरों को अस्पताल के ही होस्टल में रूम देने की मांग की गई है. वहीं, मेस के खाने को लेकर भी डॉक्टर एसोसिएशन ने असंतोष जाहिर किया और उस क्वालिटी तत्काल सुधारने की मांग की है. साथ ही कहा है कि गर्ल्स एमबीबीएस स्टूडेंट्स के लिए मेस बनाया जाए क्योंकि उन्हें नर्सिंग स्टूडेंट के मेस में खाना खाना पड़ता है, जिससे उनके समय की बर्बादी होती है.


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