नई दिल्ली: बिहार में योगी मॉडल चलेगा या फिर नीतीश मॉडल? पटना में इंडिगो के मैनेजर के मर्डर के बहाने जेडीयू और बीजेपी में ठन गई है. बीजेपी कह रही है नीतीश सरकार से क़ानून व्यवस्था नहीं संभल रही है. इसीलिए अब यूपी वाला योगी सरकार का फ़ॉर्मूला लगाना पड़ेगा. जेडीयू का आरोप है कि लॉ एंड आर्डर के नाम पर बीजेपी नीतीश कुमार की छवि ख़राब कर रही है.
पटना में इंडिगो एयरलांइस के स्टेशन मैनेजर रूपेश कुमार सिंह की हत्या कर दी गई. दो दिन हो गए लेकिन बिहार पुलिस के हाथ अब भी ख़ाली हैं. न तो हत्या का कारण पता चला है न ही हत्यारों का. विपक्ष की छोड़िए, अब इसी बात पर बीजेपी ने छोटे भाई जेडीयू पर हमले तेज कर दिए हैं. बिहार के बीजेपी विधायक नितिन नवीन कहते हैं बिहार में योगी मॉडल की ज़रूरत है. यूपी की तरह ही यहां भी अपराधियों का एनकांउटर होना चाहिए. नितिन छत्तीसगढ़ में पार्टी के सह प्रभारी भी हैं. उनका कहना है कि नीतीश कुमार से क़ानून व्यवस्था अब नहीं संभल रही है. छपरा से बीजेपी के सांसद राजीव प्रताप रूडी का भी यही कहना है. पार्टी के राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर कहते हैं कि नीतीश सरकार अपराध रोकने में नाकाम साबित हुई है.
बीजेपी दवाब की राजनीति कर रही है- जेडीयू
रूपेश सिंह के मर्डर के बाद से ही बिहार में राजनैतिक माहौल गर्म है. इसी बहाने नीतीश सरकार सवालों के घेरे में हैं. लेकिन जेडीयू के प्रवक्ता संजय सिंह कहते हैं बिहार में सिर्फ़ नीतीश मॉडल चलेगा. हमें किसी से सर्टिफिकेट लेने की ज़रूरत नहीं है. नीतीश बाबू पिछले पंद्रह सालों से सरकार चला रहे हैं. जेडीयू का आरोप है कि बीजेपी दवाब की राजनीति कर रही है. हमारे मुख्यमंत्री की छवि ख़राब की जा रही है.
बिहार चुनाव के बाद से ही बीजेपी और जेडीयू के रिश्तों में तनातनी आ गई है. कहने को दोनों मिलकर सरकार चला रहे हैं. ऐसा पहली बार हुआ है जब एनडीए की सरकार में जेडीयू छोटे भाई के रोल में है. नीतीश ने कहा भी था कि वे मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे. लेकिन बीजेपी के दवाब में ये ज़िम्मेदारी लेनी पड़ी.
बीजेपी नेताओं के कारण ही होम सेक्रेटरी आमिर सुभानी हटाए गए. वे नीतीश के बड़े करीबी अफ़सर माने जाते थे. 2005 से ही वे इस पद पर थे. बीजेपी नेता संजय पासवान ने उन्हें हटाने की मांग की थी. केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने यूपी और एमपी की तरह बिहार में भी लव जिहाद के ख़िलाफ़ क़ानून बनाने की मांग की. नीतीश ऐसा बिलकुल नहीं चाहते हैं. दिसंबर के महीने में ही नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार होना था. लेकिन बीजेपी के कारण ऐसा अब तक नहीं हो पाया है. नीतीश कुमार की आदत कभी भी बत्तीस दांतों के बीच जीभ की तरह काम करने की नहीं रही है.
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