पटना: लड़कियों या महिलाओं को सड़क पर बदमाशों ने टच किया तो वे 15 से 20 मिनट के लिए बेहोश हो सकते हैं. झटका लगेगा वो अलग. इसके साथ ही मुसीबत में महिलाएं या लड़कियां पड़ीं तो वे तुरंत सहायता के लिए मदद मांग सकती हैं. परिजनों को लोकेशन के साथ पुलिस को भी सूचना दे सकती हैं. कुछ ऐसा ही डिवाइस तैयार किया है पटना के फुलवारी शरीफ के रहने वाले शशांक दुबे ने जो नौवीं कक्षा के छात्र हैं. 


शशांक ने बताया कि यह डिवाइस ना सिर्फ शॉक देगा बल्कि परिजनों और पुलिस को भी लोकेशन की जानकारी देगा. यह प्रोटेक्टर पोर्टेबल डिवाइस है. इस डिवाइस में तीन फीचर है. हला लोकेशन स्क्रीनिंग, दूसरा कॉलिंग सिस्टम और तीसरा शॉकिंग सिस्टम. इस डिवाइस में सिम कार्ड है जो 2जी या 3जी नेटवर्क पर काम करेगा.


पहला- लोकेशन स्क्रीनिंग सिस्टम


शशांक ने लोकेशन स्क्रीनिंग सिस्टम के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अगर कोई भी लड़की या महिला अपने पास डिवाइस रखती है और कोई लफंगा या रेपिस्ट उसका पीछा करता है तो बटन दबाते ही तुरंत सिम कार्ड में डाले गए मोबाइल नंबर पर मैसेज लोकेशन के साथ चला जाता है. परिजन या पुलिस को तुरंत सूचना मिल जाएगी कि लड़की उस जगह पर खतरे में है.


दूसरा- कॉलिंग सिस्टम


डिवाइस का दूसरा फीचर है कॉलिंग सिस्टम. बटन दबाते ही सभी के मोबाइल नंबर पर कॉल चला जाता है और लोकेशन के साथ बताता है कि खतरा है.


तीसरा- शॉकिंग सिस्टम


यह तीसरा फीचर खास है. अगर लगता है कि लफंगा या कोई शख्स आप पर गलती नीयत से अटैक करने वाला है तो इस बटन को दबा सकते हैं. यह बटन दबते ही 440 वोल्ट का झटका लगेगा. कम से कम 10 से 15 मिनट तक अटैक करने वाला बेहोश हो जाएगा.


बनाया जा सकता है छोटा डिवाइस


शशांक ने बताया कि अभी जो उसने डिवाइस बनाया है वह साइज में बड़ा है. अगर कोई कंपनी इसे बनाना चाहे तो छोटा भी बना सकती है. हम खुद कंपनी खोल सकते हैं तो इसके लिए एक अच्छे इंजीनियर को हायर कर कोडिंग बताएंगे. यह डिवाइस सेमीकंडक्टर है. इसे छोटे सर्किट में कन्वर्ट किया जा सकता है. पर्स में या जूते में रखा जा सकता है.


शशांक ने बताया कि अभी तक जो विदेशों में टेक्नोलॉजी है वह सिर्फ शॉक सिस्टम है. इसकी कीमत 20 से 25 हजार रुपये है, लेकिन उनके द्वारा तैयार किए गए डिवाइस को 900 में बनाया जा सकता है. बड़े लेवल पर इसे बनाया जाए तो इसका खर्च और भी कम आएगा. 1000 रुपये के आसपास डिवाइस उपलब्ध हो जाएगा. शहर से लेकर गांव की भी लड़कियां या महिलाएं इसे खरीद सकती हैं.


शशांक ने बताया कि उनके पिता बुद्धदेव स्वास्थ्य विभाग में क्लर्क हैं. मां हाउसवाइफ हैं. दो भाइयों में सबसे बड़े हैं. पटना के ज्ञान निकेतन स्कूल में नौवीं क्लास के छात्र हैं. उन्हें बचपन से कुछ करने की चाहत थी. बताया कि बचपन में खिलौना मिलता था तो वे उसे खोलकर, उसका मोटर निकालकर फैन बनाते थे. कुछ नया करने की सोचते थे.


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