Women's Day 2022: समस्तीपुर की पूजा से मिलें, केले के रेशे से निर्मित वस्तुओं की दे रहीं ट्रेनिंग, 20 हजार महिलाएं आज खुश
Good News: पूजा 2009 से लगातार बिहार के साथ-साथ झारखंड, ओडिशा समेत अन्य राज्यों में महिलाओं को ट्रेनिंग दे चुकी हैं. इन्हें कई अवॉर्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है.
समस्तीपुरः बिहार के समस्तीपुर की पूजा सिंह आज मिथिलांचल सहित देश के कोने-कोने में जाकर महिलाओं को स्वावलंबी बना रही हैं. बिहार के बिदुपुर, कटिहार, भागलपुर, खगड़िया, समस्तीपुर में इसकी ट्रेनिंग पाकर चांदनी सिंह, रिचा सिंह, सबलबिया देवी, रीता देवी, नीतू कुमारी, सीता देवी, पूनम कुमारी सहित 20 हजार से अधिक महिलाएं आज अपने पैरों पर खड़ी होकर अन्य महिलाओं को ट्रेनिंग दे रही हैं. इससे जुड़कर आज महिलाएं खुश हैं.
समस्तीपुर जिले के मोहिउद्दीननगर प्रखंड स्थित सिवैसिंगपुर गांव की बहू पूजा 2009 से लगातार बिहार के साथ-साथ झारखंड, ओडिशा, कश्मीर, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल आदि राज्यों में महिलाओं को केले के थम से रेशा निकालने, उस रेशे की बुनाई करते हुए कई तरह के हैंडीक्राफ्ट सहित ड्रेस मेटेरियल बनाने की ट्रेनिंग ग्रामीण महिलाओं को दे चुकी हैं. इसके लिए वह अपने पति नीरज सिंह चौहान, बुआ आशा निवेदी को प्रेरणा का स्रोत बताया.
कैसे मिली प्रेरणा?
पूजा कहती हैं कि तमिलनाडु में बनाना फाइबर (केला रेशा) की ट्रेनिंग के दौरान मुझे बिहार की धरती का ध्यान आया जहां केले की खेती सबसे ज्यादा होती है. उसी समय मैंने प्रण किया कि बिहार जाकर इस पर काम करूंगी. 2012 में समस्तीपुर में ऑफिस बनाते हुए केले पर काम शुरू किया. इस दौरान महिलाओं और पुरुषों को ट्रेनिंग देते हुए खुद की फैक्ट्री खोल कर महिलाओं को रोजगार देने का विचार आया. 2014 से अनंता कॉटेज (वन स्टेप विद नेचर) स्लोगन के साथ बनाना फाइबर इंड्रस्ट्री खोली जहां आज सैंकड़ों महिलाएं काम कर रही हैं.
पटना के बाद दिल्ली चली गईं पूजा
पूजा ने कहा कि पटना में स्कूल और कॉलेज की शिक्षा ग्रहण करने के बाद 1998 में वो दिल्ली चली गईं. उन्होंने वहां से डिप्लोमा इन टेक्सटाइल डिजाइन में ट्रेनिंग ली. दिल्ली यूनिवर्सिटी से रसियन लैंग्वेज और इग्नू से पीजी डिप्लोमा की पढ़ाई की. 2003 में खादी ग्रामोद्योग कमीशन में डिजाइनर के रूप में सेलेक्शन हुआ. उसी दौरान क्रिएशंस नामक कंपनी खोली जहां सिर्फ खादी के कपड़ों की डिजाइन तैयार की जाती थी.
2005 में पटना में उन्होंने इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में स्टॉल लगाया. इसमें प्रथम पुरस्कार मिला. 2005 से 2009 तक बिहार में खादी संस्थाओं का प्रोजेक्ट प्रोडीप किया. इस दौरान उन्होंने पटना, गया, सहरसा, मोतिहारी, गोपालगंज, मधुबनी आदि खादी संस्थाओं में गारमेंट्स की ट्रेनिंग दी. दिल्ली में ब्रांडेडकंपनी के लिए भी डिजाइन तैयार किया.
एक नजर में देखें पूजा की उपलब्धि
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों 2015 एंटरप्रेन्योर अवॉर्ड दिया गया था.
- वर्ष 2009 में मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल (डीसीएच) में डिजाइनर में सेलेक्शन हुआ.
- 2013 में संसद भवन में लगे प्रदर्शनी में संपूर्ण हिंदुस्तान से सिर्फ पूजा का चयन बनाना फाइवर के लिए किया गया था. तत्कालीन स्पीकर मीरा कुमार ने भी तारीफ की थी.
- मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल (डीसी हैंडीक्राफ्ट) में ईस्टर्न जोन के लिए आयोजित कार्यक्रम में नेशनल अवॉर्ड में जज के रूप में शामिल हुई थी.
- 2003 में खादी ग्रामोद्योग कमीशन नई दिल्ली में भी सलेक्शन हुआ था.
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