पटना: कहा जाता है कि जिसमें सच्ची आस्था हो उसे पत्थर में भी भगवान नजर आता है. भागवान को पाने के भक्त के मन में आस्था का होना जरूरी है. फिर उसे जर्रे-जर्रे में भगवान दिखते हैं. बिहार की राजधानी पटना से सटे पटना सदर प्रखंड क्षेत्र के पुनाडीह गांव के लोगों का भी ऐसा ही हाल है. वे हर साल होली के दूसरे दिन गांव की ही एक लड़की को देवी मान कर उसकी पूजा करते हैं. बता दें कि पुनाडीह ही नहीं आसपास के दर्जनों गांव के लोग भी सती देवी बनी गांव की लड़की की पूजा करने पहुंचते हैं.
देवी बनी लड़की का आशीर्वाद लेते हैं लोग
फिर उसी लड़की को डोली में बैठाकर पूरे इलाके में जुलूस की शक्ल में घुमाया जाता है. हजारों लोग देवी बनी लड़की का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं. इस संबंध में स्थानीय लोगों ने बताया कि सैकड़ों साल पहले होली के दूसरे दिन एक नवविवाहिता के पति की मौत हो गई थी. उसके बाद वो लड़की सीता के पास जाकर सती हो गई, जिसके बाद पुनाडीह गांव सहित आस-पास के गांव में महामारी फैल गई. कई तरह की बीमारियों से लोग मरने लगे, जिसके बाद गांव के लोगों ने पूनाडीह गांव में सती की मंदिर बनवाई और मूर्ति स्थापित कर पूजा पाठ शुरू की. तब जाकर लोग ठीक होने लगे.
इस घटना के बाद प्रत्येक वर्ष होली के दूसरे दिन रात्रि में सती मंदिर में विशेष पूजा अर्चना होती है. गांव के किसी ब्राह्मण की बेटी को सती देवी बनाकर पूजा जाता है. तांत्रिक पूरी मंत्र औषधि के साथ पूजा करते हैं. उसके बाद सुबह में जुलूस के रूप में सती बनी लड़की को डोली पर बैठा कर इलाके के दर्जनों गांव में घुमाया जाता है. लोग भक्ति भाव से भजन कीर्तन और होली के गीत गाते हुए निकलते हैं.
गांव के बुजुर्गों ने कही ये बात
जुलूस कच्ची दरगाह होते हुए सबलपुर घाट पर जाकर समाप्त होता है. वहां पूजा-पाठ की सामग्री का विसर्जन किया जाता है. साथ ही देवी बनी लड़की को गंगा नदी में स्नान कराया जाता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि अगर किसी कारणवश यह पूजा नहीं होती है तो गांव में कई तरह की अप्रिय घटना हो जाती है. गांव के बुजुर्ग का कहना है यह सिलसिला कब से चलता आ रहा है उन्हें मुझे मालूम नहीं है. बस पीढ़ी दर पीढ़ी ये पूजा चलती आ रही है.
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