ग्रामीणों को डिजिटल साक्षर बना रहे हैं युवा, बिहार के गांवों में ऐसे हो रही है ऑनलाइन ट्रेनिंग
कोरोना महामारी के कारण लोग घरों में सिमट गए हैं और पढ़ाई से लेकर नौकरी तक ऑनलाइन हो चुकी है. यहां तक की कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन के लिए भी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हो रहा है. ऐसे में डिजिटल तौर पर निरक्षर ग्रामीण इलाकों में कुछ युवा लोगों को बेसिक डिजिटल ट्रेनिंग दे रहे हैं.
नई दिल्ली. कोरोना महामारी के दौर में वर्क फ्रॉम होम दफ्तर जाने का विकल्प बनकर उभरा है. पढ़ाई के लिए भी ऑनलाइन क्लासेस का ही सहारा लिया जा रहा है. लेकिन देश में ऐसे लोग बड़ी संख्या में हैं जो डिजिटल क्रांति से दूर हैं. वर्तमान परिदृश्य में साक्षरता सिर्फ अक्षर ज्ञान तक नहीं सिमटा है. आज चाहे वह छात्र हो या प्रोफेशनल अगर डिजिटल ज्ञान से वंचित है तो वह अपने करियर में काफी पीछे छूट जाता है. बिहार में बड़ी संख्या में ऐसे युवा हैं जो पढ़े लिखे तो हैं लेकिन डिजिटल साक्षर नहीं हैं.
बिहार के कुछ युवा अब ग्रामीणों को डिजिटल साक्षर बनाने की दिशा में बेहतर काम कर रहे हैं. कोरोना महामारी से बचने के लिए वैक्सीन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में भी ग्रामीण लोगों की मदद कर रहे हैं. इसी क्रम में पटना के एक युवा उद्यमी राहुल कुमार पांडेय ने एक अलग डिजिटल मिशन की शुरुआत की है. राहुल कुमार पांडे एक इनफ्लुएंसर मार्केटिंग एजेंसी एफएनएफ मीडिया के संस्थापक तथा प्रबंध निदेशक हैं लेकिन अभी एक प्रशिक्षक के रूप बिहार को डिजिटल दिशा में बढाने के लिए सेवा दे रहे हैं.
बिहार की पहली इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग एजेंसी- एफएनएफ मीडिया की शुरुआत करने वाले राहुल कुमार पांडे बताते हैं कि जब वे मास्क और सेनेटाइज़र का वितरण कर रहे थे तो क्षेत्र के कई युवा उनके साथ थे. लेकिन उनसे बातचीत के बाद यह पता चला कि ये लोग शिक्षित तो हैं लेकिन डिजिटल ज्ञान अधिक नहीं है. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पढ़ाए जाने वाले ऐप्प का ज्ञान क्षेत्र के युवाओं को बिल्कुल नहीं था.ऐसी स्थिति में इन्हें डिजिटल दुनिया की अधिक जानकारी होना संभव ही नहीं था. धीरे धीरे राहुल ने इन युवाओं को डिजिटल ज्ञान के लिए प्रेरित किया और अपनी कंपनी के बारे में भी बताया. सबसे पहले इन्होंने गूगल मीट के माध्यम से 4 छात्रों को निशुल्क प्रशिक्षण देना शुरू किया था लेकिन अभी इनकी ऑनलाइन कक्षा में 60 से अधिक छात्र निशुल्क प्रशिक्षण ले रहे हैं.
इन कक्षाओं में छात्रों ने वेब डेवलपमेंट, सोशल मीडिया मार्केटिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग, ऑनलाइन ऐड चलाना, विभिन्न एप्लीकेशन का उपयोग करना, सरकार द्वारा चलाये जा रहे उमंग, आरोग्य सेतु ऐप्प का उपयोग करना, पीजी पोर्टल पर शिकायत लगाना इत्यादि कई ऑनलाइन जानकारियां दे रहे हैं. इतना ही नहीं राहुल कुमार पांडे की यह टीम गांव के कम शिक्षित लोगों को कोविड टीकाकरण के स्लॉट बुक करने में भी सहायता कर रही है.
राहुल बताते हैं कि गांव में अभी डिजिटल जागरूकता की बहुत कमी है. इस कार्य में भी उन्हें रूढ़िवादी सोच का सामना करना पड़ा है. जब उन्होंने कंपनी शुरू की थी तब भी समाज में उपहास उड़ाया गया लेकिन धीरे धीरे उन्होंने प्रयास किया और आज कंपनी को इस स्तर तक पहुंचाने में सफल हुए हैं. राहुल ने बताया,'नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी से स्नातक के बाद मैंने परिवार के कहने पर सिविल इंजीनियरिंग में कदम तो रखा था लेकिन रुचि नहीं होने के कारण मैंने नौकरी छोड़ दी. आज उस एक फैसले के कारण मैं सूचना व जनसंपर्क विभाग समेत, कई मल्टीनेशनल कंपनियों के साथ काम करने के बाद सिर्फ 3 वर्षों में अपने स्टार्टअप के टर्नओवर को 10 मिलियन रुपये तक पहुंचा चुका हूं. हम कोरोना की पहली लहर के दौरान भी पिछड़े इलाकों में मुफ्त में सेनेटाइजर और मास्क का वितरण करते थे.''
यहीं नहीं वर्ष 2019 में सिलिकॉन मैगज़ीन द्वारा बिहार की पहली इन्फ्लुएंसर एजेंसी एफएनएफ मीडिया को 'स्टार्टअप ऑफ द ईयर इन इन्फ्लुएंसर' के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था और 2020 में सार्क द्वारा ग्लोबल स्टार्टअप अवार्ड्स पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया था. राहुल का कहना है कि वो चाहते हैं कि बिहार का प्रत्येक छात्र डिजिटल ज्ञान में देश के बड़े शहरों से कदमताल करें, इसके लिए उनकी ओर से ये निशुल्क कक्षाएं ऑनलाइन माध्यम से चलती रहेंगी.