मुजफ्फरपुर: बिहार का मुजफ्फरपुर जिला शाही लीचियों के लिए देश ही नहीं विदेश में भी मशहूर है. शाही लीची का स्वाद जिसने एक बार चख लिया, वो बार-बार इसे खाने की चाह रखता है. आम तौर पर मई के शुरुआत में लीची बाजार में बिकने लगती है. लेकिन इस बार शाही लीचियों का स्वाद चखने के लिए लोगों को और इंतजार करना पड़ेगा. चूंकि लीची के किसान कोरोना और मौसम की दोहरी मार झेल रहे हैं. 


पिछले साल भी हुआ था नुकसान


पिछले साल भारी नुकसान झेलने के बाद किसान इस बार भी मायूस हैं. कारण ये कि बरसात नहीं हो रही है, ऐसे में झुलसाती गर्मी ने लीचियों को पकने से पहले ही फाड़ना शुरू कर दिया है. वहीं, दूसरी ओर कोरोना की दूसरी लहर से वे परेशान हैं. उनकी मानें तो हर साल मई महीने तक फल तैयार हो जाता था, लेकिन इस साल अभी तक फलों का विकास नहीं हो पाया. फल पेड़ पर लगे-लगे ही खराब होने लगे हैं.


किसानों की मानें तो इस साल अचानक गर्मी आ जाने के कारण लीची के पौधों पर मंजर कम लगे हैं, जिससे फलों की संख्या कम है. वहीं, इस बार अभी तक बाहर के व्यवसायियों ने लीची के बाग नहीं खरीदे हैं. वे लीची के और पुष्ट आकार लेने का इंतजार कर रहे हैं. जबकि बरसात नहीं होने के कारण ये नहीं हो पा रहा है.


किसानों ने कही ये बात


मुजफ्फरपुर के बंदरा के रहने वाले लीची किसान राहुल ने बताया कि बागों में पेड़ों पर फल तो आए हैं. लेकिन मौसम की मार की वजह से फल अभी तक पूर्ण विकसित नहीं हुए हैं. वहीं, दिनेश चौधरी बताते हैं कि मौसम की वजह से फल तैयार नहीं हो पाया है, वरना एक-दो हफ्ते बाद शाही लीची बाजार में उतर जाती.


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