विपक्ष ही नहीं अब हाथरस के मुद्दे पर अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं बीजेपी विधायक, पढ़ें ये रिपोर्ट
हाथरस दुष्कर्म मामले में विपक्ष का लगातार विरोध प्रदर्शन तेज होता जा रहा है. कांग्रेस, सपा समेत तमाम सियासी दल प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. यही नहीं, अब तो बीजेपी विधायक सरकार खिलाफ अपनी नाराजगी दिखा रहे हैं.
लखनऊ. हाथरस की घटना पर बवाल लगातार बढ़ता जा रहा है. गांधी जयंती के दिन विपक्षी दलों ने इस पूरी घटना को लेकर जहां सत्याग्रह किया तो वहीं अब सरकार और बीजेपी संगठन के मुश्किल उसके अपने विधायक बढ़ा रहे हैं. बीजेपी के विधायक ने चिट्ठी लिखकर राज्यपाल से मांग की है कि हाथरस के मामले में केवल सीहोर सिपाही पर नहीं बल्कि यूपी के डीजीपी, हाथरस के डीएम और एसपी पर हत्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिए. अब जब सत्ता पक्ष के विधायक की मांग कर रहे हैं तो विपक्ष कह रहा है कि दरअसल बीजेपी के विधायक ही अपनी सरकार में परेशान हैं.
विपक्ष के हाथ आया बड़ा मुद्दा
बीजेपी सरकार के साढ़े तीन साल के कार्यकाल में हाथरस की घटना ने जितना सरकार को बैकफुट पर जाने को मजबूर कर दिया है, उतना शायद उन्नाव की घटना में भी नहीं हुआ था. हाथरस की घटना को लेकर पूरे देश में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं. विपक्ष को बैठे-बिठाए एक ऐसा मुद्दा हाथ लग गया है जिसका इंतजार उसे लंबे समय से था. वहीं, गांधी जयंती के दिन भी विपक्षी दलों ने सत्याग्रह करके सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की. इस पूरी घटना को लेकर लगातार प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं, और अब विपक्ष के साथ-साथ सवाल उठाने में बीजेपी के विधायक भी आगे आ रहे हैं.
बीजेपी विधायक ने राज्यपाल को लिखा पत्र
गाजियाबाद के लोनी से बीजेपी के विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने तो राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश के डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार और हाथरस के एसपी के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग तक कर दी है. इतना ही नहीं विधायक का साफ तौर पर कहना है कि हमेशा ऐसे मामलों में सिपाही और दरोगा पर गाज गिरती है लेकिन इस बड़ी घटना में डीजीपी पर भी केस दर्ज होना चाहिए.
अपने ही उठाने लगे सरकार के खिलाफ आवाज
ये कोई पहला मामला नहीं है जब बीजेपी विधायक अपनी सरकार और अफसरों के खिलाफ ऐसा कोई पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है. इससे पहले भी उत्तर प्रदेश में जब पल्स ऑक्सीमीटर घोटाला हुआ तब उस मामले को भी पार्टी के विधायक देवमणि द्विवेदी ने ही उठाया था. ऐसे मामलों की भरमार है, हरदोई से बीजेपी के विधायक श्याम प्रकाश ने कुछ समय पहले चिट्ठी लिखकर साफ तौर पर स्वास्थ्य अधिकारियों पर आरोप लगाया था कि वो कोविड फंड में भ्रष्टाचार कर रहे हैं. वहीं, आजमगढ़ से आने वाले विधायक श्री राम सोनकर ने तो अधिकारियों के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाते हुए अपनी विधायक निधि तक वापस मांग ली थी.
तमाम ऐसे मुद्दे हैं जिस पर बीजेपी के विधायक खुद अपनी सरकार को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं. अभी छुट्टी सामने आने के बाद कांग्रेस का कहना है कि अगर सरकार विपक्ष की नहीं सुन रही, पीड़ित की नहीं सुन रही है, तो कम से कम अपने विधायक की सुन ले. दोषियों पर कार्रवाई करके अपनी थोड़ी इज्जत बचाने की कोशिश करें.
नवंबर में होने हैं उपचुनाव
नवंबर में उत्तर प्रदेश में 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, इसके अलावा अगले साल पंचायत चुनाव हैं और फिर उसके बाद विधानसभा के आम चुनाव होने हैं. जाहिर है इस घटना को लेकर विपक्ष तो सरकार पर दबाव बना रहा है लेकिन अब पार्टी के अपने ही विधायक जब सवाल उठाएंगे तो भला विपक्ष इसे मुद्दा बनाने से कैसे छोड़ सकता है और बीजेपी के अपनों की यह बयान बाजी कहीं पार्टी के लिए चुनाव में मुश्किल ना खड़ी कर दे.
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