जोशीमठ, एबीपी गंगा: विश्व धरोहर फूलों की घाटी में इन दिनों जापान का राष्ट्रीय फूल और हिमालयन क्वीन ब्लू पॉपी अपनी छटा बिखेर रहा है. हालांकि इस साल वैश्विक महामारी के चलते एक भी पर्यटक फूलों की घाटी के दीदार को नही पहुंचा है. फिर भी घाटी में इसकी रौनक देखते ही बनती है. यह फूल अपनी ही रंगत से खिला हुआ है और इसकी छटा अपनी ओर आर्कषित कर रही है.


फूलों की घाटी में ब्लू पॉपी के फूल को विदेशी सैलानी खासा पसंद करते हैं. खासतौर से जापान से सैकड़ों पर्यटक इसको देखने फूलों की घाटी में हर साल आते हैं. ब्लू पॉपी को हिमालयी फूलों की रानी भी कहा जाता है. जुलाई से अगस्त के आखिर तक हेमकुंड साहिब व फूलों की घाटी में यह फूल प्रचुर मात्रा में खिलता है. दुनिया में ब्लू पॉपी की 40 प्रजातियां मौजूद हैं. इनमें से 20 तो भारत में ही पाई जाती हैं. इस फूल की जड़ों को जहरीला माना जाता है.


समुद्रतल से 12995 फीट की ऊंचाई पर 87.5 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली फूलों की घाटी जैव विविधिता का खजाना है. यह दुनिया की इकलौता जगह है, जहां पर प्राकृतिक रूप से 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं. यहां दुनिया के दुर्लभ प्रजाति के फूल, वन्य जीव-जंतु, जड़ी-बूटियां व पक्षी पाए जाते हैं. फूलों की घाटी को 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था. वहीं, वर्ष 2005 में यूनेस्को ने इसे विश्व प्राकृतिक धरोहर का दर्जा प्रदान किया.


रोचक है ब्लू पॉपी की कहानी
ब्लू पॉपी के फूलों की घाटी में आने की कहानी भी काफी रोचक है. 4 दशक पहले यह फूल फूलों की घाटी में नही था. 1981 तक यह फूल घाटी में नजर नहीं आता था. इसी वर्ष जापान के शोध छात्र चो बकांबे फूलों पर शोध के लिए अपने अन्य शोध छात्रों के साथ फूलों की घाटी आए. इसी दौरान उन्होंने जापान में पसंद किए जाने वाले ब्लू पॉपी के बीज घाटी में बिखेरे. तीन साल बाद जब वह दोबारा फूलों की घाटी आए तो वहां ब्लू पॉपी की क्यारी सजी थी. तब से यह फूल लगातार यहां खिल रहा है.


जापानी पर्यटकों की पहली पसंद
यह फूल जापान में प्रचुर मात्रा में खिलता है. इसीलिये हर साल सैंकड़ों जापानी पर्यटक इस फूल को यहां देखने आते हैं. यहां पर इस फूल के साथ अपने राष्ट्रीय गीत भी गाते हैं. जापान में ब्लू पॉपी को खासा पसंद किया जाता है. फूलों की घाटी में इस फूल को देख कर जापानी पर्यटक खुश होते हैं.


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