पीलीभीत में चीन की क्ले आर्ट का बहिष्कार, कुम्हारों के हाथों से बने मिट्टी के बर्तन से सजेगी आज की आधुनिक रसोई
मिट्टी के बर्तन के लिए सरकार 50 हजार से लेकर 10 लाख रुपये तक का अनुदान देगी. जिसमे 02 लाख रुपये फर्म को स्वयं लगाने को होंगे.
यूपी के पीलीभीत में सरकार की योजना के तहत कुम्हारी कला को बढावा मिल रहा है. जिसके चलते आधुनिक युग की मॉडल रसोई में उपयोग किए जाने वाले मिट्टी के सुंदर सुंदर बर्तन व उपकरण अब जिले में ही कम दामो में उपलब्ध होंगे. जिसके लिए जिलाधिकारी के निर्देष पर खादी ग्रामोद्योग विभाग से कुम्हारों की कला को निखारने के लिए लगातार प्रयास रत हैं.
आवश्यकता आविष्कार की जननी है. कहावत को आपने बखूबी सुना ही होगा. जी हां भारत चीन के बीच तनातनी को लेकर यूपी सरकार के द्वारा दी गई योजनाओं के सहारे अब पीलीभीत के कुम्हारों की कला पूरे देश में साक्षात्कार करने जा रही है. पीलीभीत में बड़े स्तर पर मिट्टी से निर्मित कई प्रकार के बर्तन व मूर्तियां बनाने के लिए पूरनपुर तहसील के पास चंदपुरा गांव में जमीन चिन्हित कर समिति का गठन कर दिया गया है. जिसके माध्यम से आधुनिक युग के दौर में मॉडल किचन से लेकर कार्यालयों में विभिन्न प्रकार के क्ले आर्ट बोला जाने वाली कला कृति के आकार के सुंदर पात्र व उपकरण कम दामो पर उपलब्ध होंगे.
आपको बता दें मिट्टी के बर्तन के लिए सरकार 50 हजार से लेकर 10 लाख रुपये तक का अनुदान देगी. जिसमे 02 लाख रुपये फर्म को स्वयं लगाने को होंगे. सरकार की इस योजना से कुंहारी कला को बढ़ावा मिल रहा है. जिससे उनका पैतृक व्यपार में भी खास बढ़ोत्तरी होकर उनकी पहचान भी सुरक्षित एवं संरक्षित हो सकेगी.
खादी ग्रामोद्योग अधिकारी ए के गंगवार ने बताया कि सभी एसडीएस की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार जिले में कुल 1034 कुम्हारों के परिवारों को चिंहित किया गया है. उसी के आधार पर पिछले वर्ष से अब तक करीब 67 इलेक्ट्रॉनिक चाक कुम्हारों को निःशुल्क वितरित किए गए हैं,, कुल 30 लोगो के आवेदन स्वीकृत कर उन्हें भी निशुल्क चाक उपलब्ध कराए जाने हैं. वहीं चीन से निर्मित मिट्टी के बर्तनों का बहिष्कार करते हुए अब पीलीभीत में कुंहारी कला को बढ़ावा देते हुए पूरे प्रदेष से लेकर देश तक मिट्टी के बने बर्तन क्ले आर्ट को कम दाम में बर्तनों से लेकर उपकरण तक उपलब्ध हो सकेंगे. जिसकी खास तौर पर सराहना मिल रही है.
ग्रामीण कक्षा 6 में पढ़ने वाले गौरव का साफ तौर पर कहना है कि वह अपनी मां के साथ मिट्टी के बर्तन बनाना सीख रहा है उसके दादा परदादा के जमाने से मिट्टी के बर्तन बनाए जाते रहे हैं लेकिन सरकार के द्वारा मिली निशुल्क इलेक्ट्रॉनिक चौक से वह आसानी से कम समय में मिट्टी के दिए वह बर्तन बनाकर अपनी मां का हाथ बटा रहा है.
राजेश प्रजापति ने बताया कि सरकार ने हम कुम्हारों को ध्यान में रखते हुए निशुल्क इलेक्ट्रॉनिक के चाक उपलब्ध करा दिए हैं जिससे वह अपने घर का गुजारा मिट्टी के बर्तन बनाकर वह आधुनिक युग में मॉडल रसोई जिसमें मिट्टी के पास बनी बोतल घड़ा आदि का उपयोग खूब डिमांड में है जिसको लेकर हम लोग लगातार प्रयासरत हैं लेकिन सरकार को कुछ और थोड़ा सा सहायता देनी चाहिए जिससे हमारी कुम्हार की कला को और बढ़ावा मिल सकेगा.