लखनऊ. अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर के भूमि पूजन समारोह में आमंत्रित नहीं किए जाने से नाराज दलित महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभु नंदन गिरि को बसपा सुप्रीमो मायावती का साथ मिला है. पूर्व मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को कहा कि अगर इस समारोह में अन्य 200 साधु-सन्तों के साथ इनको भी बुला लिया गया होता तो यह बेहतर होता. साथ ही उन्होंने हालांकि उन्होंने दलित समाज को इन सबके बजाय डॉ. अम्बेडकर के बताए रास्ते पर चलने और श्रम-कर्म पर ध्यान देने की सलाह भी दी है.
मायावती ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, "दलित महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभु नंदन गिरि की शिकायत के मद्देनजर यदि अयोध्या में 5 अगस्त को होने वाले भूमिपूजन समारोह में अन्य 200 साधु-सन्तों के साथ इनको भी बुला लिया गया होता तो यह बेहतर होता. इससे देश में जातिविहीन समाज बनाने की संवैधानिक मंशा पर कुछ असर पड़ सकता था."
इसके बाद मायावती ने एक और ट्वीट किया. इस ट्वीट में उन्होंने लिखा, "वैसे जातिवादी उपेक्षा, तिरस्कार व अन्याय से पीड़ित दलित समाज को इन चक्करों में पड़ने के बजाए अपने उद्धार हेतु श्रम/कर्म में ही ज्यादा ध्यान देना चाहिए व इस मामले में भी अपने मसीहा परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के बताए रास्ते पर चलना चाहिए, यही बीएसपी की इनको सलाह है."
दलित महामंडलेश्वर ने उठाए थे सवाल
बतादें कि संन्यासियों के सबसे बड़े अखाड़े जूना के इकलौते दलित महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभु नंदन गिरि ने भूमि पूजन में खुद को नहीं बुलाए जाने पर नाराजागी जताते हुए इसे दलितों की उपेक्षा करार दिया है. स्वामी कन्हैया प्रभु नंदन गिरि ने कहा है कि पहले मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट में किसी दलित को जगह नहीं दी गई और उसके बाद अब भूमि पूजन समारोह में भी इस समुदाय की उपेक्षा की जा रही है. उनका कहना है कि भगवान राम ने हमेशा पिछड़ों और उपेक्षितों की मदद कर उनका उद्धार किया, लेकिन राम के नाम पर सत्ता में बैठे लोग दलित समुदाय के साथ भेदभाव कर रहे हैं.
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