अयोध्या: बहुचर्चित बाबरी विध्वंस केस में लगभग 27 साल बाद 30 सितंबर को फैसला आने जा रहा है. ये फैसला ऐसे समय में आने जा रहा है जब सुप्रीम कोर्ट से राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला आ चुका है और राम मंदिर निर्माण का कार्य भी शुरू हो चुका है. इसलिए अब बाबरी विध्वंस केस में कोई आरोपी कह रहा है कि वो मस्जिद नहीं महाजिद थी तो कोई कह रहा है की वो तो मस्जिद नहीं मंदिर था. जीर्ण शीर्ण होने के कारण उसे गिराया गया इसलिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला राम मंदिर के पक्ष में आने के बाद अब कोई अपराध बनता ही नहीं. बावजूद इसके सभी कहते हैं कि अगर इस अपराध के लिए उम्रकैद या फांसी हो जाए तब भी उन्हें कोई अफसोस नहीं होगा, बल्कि गर्व होगा अपने भाग्य पर क्योंकि राम कार्य करते हुए उन्हें सजा मिलेगी.


सभी मुकदमे समाप्त कर देना चाहिए
हालांकि, बाबरी मस्जिद के मुद्दई रहे इकबाल अंसारी कहते हैं की सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद मंदिर-मस्जिद से जुड़े सभी मुकदमे समाप्त कर देना चाहिए क्योंकि इससे हिंदू-मुस्लिम के आपसी सौहार्द को खतरा है. इस तरह के विवाद नहीं उठने चाहिए क्योंकि जो इस केस में आरोपी थे उसमें से बहुत अब नहीं रहे और बाकी बहुत सारे लोग वृद्ध हो चुके हैं. लिहाजा, अब मंदिर-मस्जिद से जुड़े सभी मुकदमे समाप्त कर देने चाहिए. इकबाल अंसारी के इस बयान के बाद अब विनय कटियार भी कह रहे हैं की सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद अब इन मुकदमों को समाप्त कर देना चाहिए.


जानें- क्या बोले राम विलास वेदांती
30 तारीख को आने वाले फैसले को लेकर राम विलास वेदांती ने कहा कि यदि 30 तारीख के फैसले में हमें फांसी हो जाती है तो इससे बढ़कर सौभाग्य कुछ नहीं होगा. फैसले में आजीवन कारावास हो जाता है तब भी मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है. यदि रामलला के नाम पर राम जन्मभूमि के नाम पर भगवान राम के नाम पर जेल जाने का सौभाग्य फिर प्राप्त हो रहा है तो मैं तैयार हूं. राम जन्मभूमि के नाम पर 25 बार जेल गया 26वीं बार जेल जाना होगा तो ये मेरा सौभाग्य होगा.


30 सितंबर को आएगा फैसला
हालांकि, अब सब कुछ न्यायालय के निर्णय पर निर्भर करता है और 30 सितंबर का फैसला तय करेगा की बाबरी विध्वंस केस में किसको कितनी सजा मिलती है और किसको कितनी राहत.


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