बिहार के छपरा जिले के मशरख, इशुआपुर, आमनौर और मढ़ौरा प्रखंड के अलग-अलग जगहों पर जहरीली शराब पीने से 39 लोगों की मौत हो गई है. 12 दिसंबर को हुई इस घटना के बाद बिहार में बवाल मचा है. विपक्षी पार्टी जहरीली शराब से हुई मौत पर सीएम नीतीश कुमार का इस्तीफा मांग रही है.
दूसरी ओर सदन में नीतीश ने इसका बचाव करते हुए कहा है, कि जो शराब पिएगा, वो मरेगा ही. बिहार में 2016 से शराबबंदी कानून लागू है. इसके बावजूद सूबे में जहरीली शराब का कहर नहीं थम रहा है. 6 साल में अब तक 202 लोगों की जहीरीली शराब पीने की वजह से मौत हो चुकी है.
जहरीली शराब की गूंज बिहार से लेकर दिल्ली तक
बुधवार को सत्र शुरू होने के बाद बीजेपी ने इस मुद्दे को बिहार विधानसभा में भी उठाया. नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने नीतीश सरकार के इस्तीफे की मांग की. इस पर मुख्यमंत्री अपना आपा खो बैठे. विधानसभा में गुस्साते हुए नीतीश ने कहा- तुम तो मत ही बोलो.
इसके कुछ देर बाद स्पीकर अवध बिहारी चौधरी ने नेता प्रतिपक्ष का माइक ऑफ कर दिया. माइक ऑफ होने से बीजेपी विधायक भड़क उठे.
गुरुवार को भी सदन में इस मुद्दे पर भारी हंगामा हुआ. सत्ताधारी राजद के विधायक सुधाकर सिंह ने भी नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला. सुधाकर ने कहा- छपरा में सत्ता संरक्षित हत्या हुई है.
इधर, लोकसभा में बीजेपी सांसद संजय जायसवाल ने इस मुद्दे को उठाया. उन्होंने कहा- बिहार सरकार सामूहिक हत्याएं करा रही है.
2021 में सबसे ज्यादा 90 मौतें
बिहार में जहीरीली शराब पीने की वजह से सबसे ज्यादा 2021 में 90 मौतें हुई थी. राज्य में 2020 में, 2019 में 9, 2018 में 9, 2017 में 8 और 2016 में 13 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 2022 में अब तक 67 लोग जहरीली शराब पीने की वजह से मारे गए हैं. अधिकांश मौतें गोपालगंज, छपरा, बेतिया और मुजफ्फरपुर जिले में हुई है.
आखिर बार-बार क्यों हो रही ऐसी घटनाएं?
1. बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं- बिहार में 2016 से लेकर अब तक जहरीली शराब से मौत मामले में एक भी बड़े अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई है. 2021 के नवंबर में जहरीली शराब की वजह से 40 लोगों की मौत हुई थी. इस मामले में भी थाना प्रभारी को सिर्फ सस्पेंड कर सरकार ने कार्रवाई की खानापूर्ति कर ली.
2. बॉर्डर इलाकों में विशेष व्यवस्था नहीं- जहरीली शराब से जिन जिलों में सबसे ज्यादा मौतें हुई है, वो सभी बॉर्डर इलाके हैं. सरकार शराबबंदी के बाद बॉर्डर इलाके में रोकथाम के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं की है. इन इलाकों में तस्कर रात को सक्रिय होकर बेधड़क जहरीली शराब की सप्लाई करते हैं.
6 साल में देश में 6,172 की मौत
केंद्र सरकार के मुताबिक 2016 से 2022 तक भारत में जहरीली शराब पीने से 6,172 लोगों की मौत हुई है. लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया- 2016 में 1054, 2017 में 1510, 2018 में 1365, 2019 में 1296 और 2020 में 947 लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हुई है.
बिहार में शराबबंदी कानून क्या, 3 फैक्ट्स
राज्य में शराबबंदी कानून बिहार मद्यनिषेध व उत्पाद विधेयक-2016 के तहत लागू किया गया है. शराबबंदी लागू करने के लिए बिहार सरकार ने कानून में 3 बड़े बदलाव किए थे.
- शराब से जुड़े सभी अपराध को गैर-जमानती कर दिया गया था. हालांकि, बाद में संशोधन कर शराब पीने के अपराध को जमानती धारा में लाया गया.
- किसी घर में शराब मिली तो घर के 18 से अधिक उम्र के सभी सदस्यों को सजा. साथ ही घरों का अधिग्रहण भी सरकार कर सकती है.
- एएसआई को पुलिसिंग का अधिकार दिया गया है. विशेष न्यायालय के गठन का प्रावधान भी किया गया है
विवादों में शराबबंदी कानून...
1. नीतीश सरकार में सहयोगी और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी शराबबंदी कानून खत्म करने की वकालत कर चुके हैं. मांझी ने आरोप लगाया कि इस कानून से गरीबों को पुलिस दबाती है.
2. जनवरी 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा- शराबबंदी के तहत दर्ज केसों की वजह से बिहार में न्यायालयों का दम घुट रहा है. कोर्ट ने आगे कहा कि बिहार सरकार ने बिना समझे इस कानून को बना दिया.