Watch: जांजगीर चांपा के नैला में मनाया जाएगा भव्य दुर्गा उत्सव, अक्षरधाम मंदिर की तर्ज पर दुर्गा पंडाल तैयार
नैला दुर्गा पंडाल को छत्तीसगढ़ में सबसे ऊंचा बताया जा रहा है. मुख्य आकर्षण का केंद्र दुर्गा मां के लिए बनाए गए स्वर्ण कमल और चांदी की छत्र है. माता की 35 फीट ऊंची प्रतिमा मिट्टी से तैयार की गई है.
Janjgir Champa Durga Utsav: छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में इस साल धूमधाम से दुर्गा उत्सव मनाया जा रहा है. नैला दुर्गा उत्सव समिति ने दुर्गा पंडाल को दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर की तरह तैयार किया है. दुर्गा पंडाल की ऊंचाई 110 फीट रखी गई है. नैला दुर्गा पंडाल को छत्तीसगढ़ में सबसे ऊंचा बताया जा रहा है. मुख्य आकर्षण का केंद्र दुर्गा मां के लिए बनाए गए स्वर्ण कमल और चांदी की छत्र है. माता की 35 फीट ऊंची प्रतिमा मिट्टी से तैयार की गई है. दुर्गा मां की प्रतिमा हीरे मोती और रत्नों से जड़ित होगी. नैला दुर्गा उत्सव समिति ने करीब 2 करोड़ रुपए खर्च कर भव्य तैयारी की है. आपको बता दें कि कोरोना महामारी के कारण पिछले दो वर्षों से दुर्गा उत्सव फीका था.
4 किलो सोने से तैयार स्वर्ण कमल और चांदी की छत्र
कोरोना के मामलों में आई गिरावट के बाद प्रशासन ने पाबंदी हटा ली है. 1981 से चली आ रही परंपरा को यादगार बनाने के लिए दुर्गा उत्सव समिति ने विशाल पंडाल तैयार किया है. हर साल पंचमी को दुर्गा मां विराजमान होती है लेकिन इस बार तृत्या पर दुर्गा मां नैला आ रही है. दुर्गा उत्सव समिति के अध्यक्ष राजेश पालीवाल ने बताया कि 4 किलो सोने से तैयार स्वर्ण कमल पर माता विराजमान होंगी. इसके अलावा सिर पर बनाई गई चांदी की छत्र का व्यास करीब 20 फीट और 40 फीट व्यास वाला कमल फूल बनाया गया है.
दिल्ली के अक्षरधाम की तर्ज पर स्वागत द्वार तैयार
कुल मिलाकर दुर्गा उत्सव को भव्य बनाने के लिए करीब 2 करोड़ रुपए खर्च हो रहा है. हमारी समिति 1981 से हर साल दुर्गा उत्सव मनाती है. मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ इस बार भगवान शिव का पूरा परिवार नजर आएगा. गणेश, कार्तिकेय, माता पार्वती और भोलेनाथ की 10-10 फीट ऊंची मूर्ति तैयार की गई है. इसके अलावा डोम वाले पंडाल में आकर्षक लाइटिंग की गई है. राजेश पालीवाल के मुताबिक हर साल खास थीम पर दुर्गा उत्सव मनाया जाता है. इस बार दिल्ली के अक्षरधाम की तर्ज पर स्वागत द्वार बनाया गया है. कोलकाता की बजाय इस बार राज्य के स्थानीय कारीगरों ने प्रतिमा किया है. हालांकि स्वर्णकमल और चांदी की छत्र के लिए बंगाल से कारीगर बुलाए गए हैं.