Janjgir-Champa: छत्तीसगढ़ के 20 परिवार जम्मू कश्मीर में बने बंधक, जांजगीर-चांपा जिला प्रशासन से परिजनों ने लगाई गुहार
शिकायत में बताया गया है कि जांजगीर चांपा और सक्ती जिले के ग्राम तुषार, कोटेतरा, लोहर्सी और अकलतरा क्षेत्र से मजदूर जम्मू कश्मीर कमाने गए थे. अब दस हजार के एवज में साल भर काम का दबाव बनाया जा रहा है.
Janjgir-Champa News: जम्मू कश्मीर कमाने गए छत्तीसगढ़ के 20 परिवारों को बंधक बना लिया गया है. बड़गाम में मजदूरों को बंधक बनाकर प्रताड़ित किया जा रहा है. मजदूर छत्तीसगढ़ के अलग-अलग गांव और जिलों से हैं. जम्मू कश्मीर में फंसे मजदूरों ने वीडियो परिजनों को भेजकर हालात बताए हैं. उनका कहना है कि 10 हजार के एवज में साल भर तक काम करने का दबाव बनाया जा रहा है. बंधक बने मजदूरों के परिजनों ने जांजगीर चांपा में जिला प्रशासन से शिकायत की है.
जम्मू कश्मीर में बंधक बने छत्तीसगढ़ के मजदूर
शिकायत में बताया गया है कि जांजगीर चांपा और सक्ती जिले के ग्राम तुषार, कोटेतरा, लोहर्सी और अकलतरा क्षेत्र से मजदूर जम्मू कश्मीर कमाने गए थे. ठेकेदार के साथ मजदूर बड़गाम में ईंट भट्टा पर काम करने की जानकारी परिजनों को देकर गए. बड़गाम में एक बार दस हजार रुपए एक परिवार को एडवांस दिया गया. दस हजार के बदले अब सालभर काम करना दबाव बनाया जा रहा है. एक मजदूर ने परिजनों को फोन पर बंधक बनाए जाने की जानकारी दी और जिला प्रशासन से छुड़ाए जाने के लिए आवेदन देने की बात कही.
जिला प्रशासन से लगाई मदद करने की गुहार
परिवार के सदस्यों को जम्मू कश्मीर में बंधक बनाए जाने की जानकारी मिलते ही परिजनों ने कलेक्टर और श्रम पदाधिकारी से शिकायत की. उन्होंने प्रशासन से बंधक बनाए गए लोगों को मुक्त कराए जाने की गुहार लगाई है. जिले के श्रम पदाधिकारी घनश्याम पाणिग्रही का कहना है कि जम्मू कश्मीर में श्रमिकों को बंधक बनाए जाने की सूचना मिली है. जम्मू कश्मीर में लेबर कमिश्नर और स्थानीय प्रशासन से संपर्क कर चर्चा की गई है. उन्होंने आश्वासन दिया कि मजदूरों को मुक्त कराने का प्रयास किया जा रहा है. गौरतलब है कि जांजगीर चांपा जिले के श्रमिकों को आए दिन जम्मू कश्मीर में बंधक बनाए जाने की खबरें आती रहती हैं. पलायन के मामले में भी जांजगीर चांपा सर्वाधिक है. कोरोना काल में जिले के 1 लाख 23 हजार श्रमिक अलग अलग राज्यों जम्मू कश्मीर, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, आंध्रप्रदेश, राजस्थान से लौटे थे. कोरोना की रफ्तार धीमी पड़ते ही मजदूर फिर से दूसरे राज्य पलायन कर गए हैं.