छत्तीसगढ़ के बस्तर में जिला प्रशासन की बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. लापरवाही के चलते स्टोरेज सेंटर में रखा लगभग 20 हजार क्विंटल धान बारिश में भीगकर खराब हो गया है. धान खराब होने से सरकार को 5 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है. दरअसल, मिलर्स द्वारा सही समय पर स्टोरेज सेंटर से धान का उठाव नहीं किये जाने से ये खुले आसमान के नीचे रखा हुआ था. बस्तर कलेक्टर ने इस लापरवाही के लिए एक टीम बनाकर पूरे मामले की जांच कराकर दोषियों पर कार्यवाही करने की बात भी कही है. बताया जा रहा है कि इस स्टोरेज केंद्र में बस्तर, बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा खरीदी केंद्रों का धान रखा हुआ था. बीते जुलाई से अगस्त महीने तक धान का उठाव होना था.


स्टोरेज सेंटर प्रभारी का कहना है कि प्रशासन से धान को ढकने के लिए पर्याप्त त्रिपाल की मांग की जा रही थी, लेकिन त्रिपाल नहीं मिलने की वजह से धान बारिश में भीगकर खराब हो गया. अब पूरी तरह से खराब हो चुके धान को मिलर्स ने भी उठाव करने से साफ इनकार कर दिया है.


संग्रहण केंद्र प्रभारी की थी जिम्मेदारी
इधर जिले के डीएमओ राजेंद्र कुमार ध्रुव का कहना है कि स्टोरेज सेंटर में धान को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी प्रभारी की है. लापरवाही के चलते होने वाले नुकसान का आंकलन कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. दरअसल, जो धान खराब हुआ है वह पिछले साल का धान है और जिसका उठाव करने की जिम्मेदारी 27 मिलर्सो को दी गयी थी लेकिन उन्होंने समय पर धान का उठाव नहीं किया.


कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश
फिलहाल इस मामले में अब बस्तर कलेक्टर रजत बंसल ने जांच के आदेश देने की बात कही है. उन्होंने कहा कि वे खुद 6 महीने पहले इस संग्रहण केंद्र का निरीक्षण कर चुके हैं और व्यवस्था दुरुस्त करने संग्रहण केंद्र प्रभारी को भी आदेश दिया था, लेकिन अब मामला के उजागर होने के बाद कलेक्टर ने डीएमओ के नेतृत्व में एक टीम बनाकर इस मामले की पूरी जांच करने की बात कही है.


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