Sukma News: व्यवस्थाओं के प्रति नाराजगी का पर्याय रहे नक्सलियों भी अब अपना रास्ता बदल मुख्यधारा की ओर रुख करने लगे हैं. पुलिस और व्यवस्थाओं पर उनका भरोसा बढ़ा है. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में ऐसे ही 33 नक्सलियों ने पुलिस के जनदर्शन शिविर में पहुंचकर सरेंडर कर दिया. हथियार डाल मुख्यधारा से जुड़ने वालों में नक्सली संगठन CNM सदस्य, मलीशिया सदस्य, GRD सदस्य और DAKMS सदस्य शामिल हैं. पुलिस के मुताबिक सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने अपने लीडरों की प्रताड़ना से तंग आने की बात भी कही है.
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस ने एक अभियान की शुरूआत की है. पुना नर्कोम (नई सुबह नई शुरुआत) अभियान के तहत वह अंदरूनी गांवों व बाहर सक्रिय स्थानीय नक्सलियों का भरोसा जीत रही है. पुलिस की कोशिश है कि इस अभियान के जरिए उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जाए. नक्सल प्रभावित इलाकों में जनदर्शन शिविर का आयोजन किया जा रहा है.
33 नक्सलियों ने किया सरेंडर
अति नक्सल प्रभावित इलाका माने जाने वाले डब्बामरका और तोंडामरका में पुलिस ने हाल ही में नया कैंप स्थापित कर जनदर्शन शिविर लगाया. नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने की इस मुहिम के तहत शिविर में एक साथ 33 नक्सलियों ने पहुंचकर सरेंडर किया. सरेंडर करने वालों में तीन नक्सली ऐसे भी थे जिन पर एक-एक लाख का इनाम घोषित था. इनमें महिला नक्सली भी शामिल थीं.
सैकड़ो ग्रामीण भी बने गवाह
पुलिस की ओर से आयोजित इस अभियान की कामयाबी की गवाह वहां के स्थानीय लोग भी बन रहे हैं. जनदर्शन कार्यक्रम में लोग पहुंच रहे हैं और व्यवस्थाओं के अपने अंदाज में नाराजगी जाहिर करने वाले नक्सलियों के मुख्यधारा से जोड़ने की इस मुहिम को सराह रहे हैं. साथ ही आतंक का पर्याय बन चुके नक्सलियों का सरेंडर करना का यह सिलसिला उनके लिए कौतूहल सरीखा भी है.
अब तक 300 नक्सली कर चुके हैं सरेंडर
बीते दो साल में 300 से अधिक नक्सली सरेंडर कर मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं. सुकमा एसपी सुनील शर्मा के मुताबिक जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों में लगातार पुलिस की ओर से पुना नर्कोम अभियान चलाया जा रहा है. प्रदेश पुलिस की कोशिश स्थानीय नक्सलियों को सरकार की मुख्यधारा से जोड़ा जाए. इसमें कामयाबी भी मिल रही है. नक्सली सरेंडर कर रहे हैं. डब्बामरका में भी पुलिस कैम्प खोलकर ग्रामीणों के लिए जनदर्शन शिविर लगाया गया था.
रोजमर्रा इस्तेमाल के सामान कर रहे वितरित
इस शिविर में ग्रामीणों को उनके रोजमर्रा इस्तेमाल के सामान वितरित किए गए. इसके अलावा CRPF के डॉक्टरों की टीम की ओर से ग्रामीणों को स्वास्थ्य संबंधित जानकारी और दवाइयां भी दी गईं. एसपी सुनील शर्मा ने कहा कि सरेंडर करने वाले नक्सलियों को जल्द ही सरकार के पुनर्वास नीति के तहत लाभ दिया जाएगा.
नक्सली लीडरों की प्रताड़ना से आ गए आजिज
शिविर में सरेंडर करने वाले बड़ी नक्सली वारदातों में शामिल रहे हैं. किस्टाराम और इसके अलावा आसपास के इलाकों में उन्होंने ये वारदातें अंजाम दी थीं. सरेंडर करने वालों ने पुलिस को बताया कि बड़े नक्सली लीडरों की प्रताड़ना से तंग आकर वे आम लोगों की जिंदगी जीने के लिए और नक्सल संगठन की खोखली विचारधारा से परेशान होकर उन्होंने सरेंडर किया.