Danteshwari Temple: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में है 52वां शक्तिपीठ, यहां गिरे थे सती के दांत, जानें इसकी पूरी कहानी
Dantewada News: अन्ममदेव को वारंगल से निर्वासित कर दिया गया. एक बार वह दुखी मन से गोदावरी नदी को पार कर रहे थे, उसी दौरान उन्हें नदी में मां दंतेश्वरी की प्रतिमा मिली.
Danteshwari Mata Mandir: देश के अलावा पाकिस्तान में शक्ति (मां दुर्गा) के 52 मंदिर हैं, जिन्हें शक्तिपीठ कहा जाता है. ये शक्तिपीठ देश के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद हैं. इन्हीं शक्तिपीठों में से एक छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित है, जिसे माता दंतेश्वरी के नाम से पहचाना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस स्थान पर माता सती के दांत गिरे थे, जिसके कारण इसका नाम दंतेश्वरी पड़ा. यहां चैत्र और शारदीय नवरात्रि के दौरान बस्तर संभाग से ही नहीं बल्कि देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं.
सैकड़ों साल पुराना है मंदिर
दंतेश्वरी मां के मंदिर प्रबंधन के मुताबिक यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है. माना जाता है कि माता सती का एक दांत दंतेवाड़ा में गिरा था, इस वजह से इस इलाके को दंतेवाड़ा कहा गया. दंतेवाड़ा माता के स्वरूप को भी दंतेश्वरी माई के नाम से ही जाना जाता है. यह मंदिर दुनियाभर में स्थित देवी के 52 शक्तिपीठों में से एक है.
एक लोक कथा ये भी
एक अन्य लोककथा के मुताबिक प्राचीन भारत के राज्य वारंगल के राजा प्रतापरुद्रदेव थे. जब उनके छोटे भाई अन्ममदेव को वारंगल से निर्वासित कर दिया गया. एक बार वह दुखी मन से गोदावरी नदी को पार कर रहे थे, उसी दौरान उन्हें नदी में मां दंतेश्वरी की प्रतिमा मिली. अन्ममदेव उस प्रतिमा को उठाकर नदी के किनारे लाए और उसकी पूजा करने लगे, तभी माता दंतेश्वरी ने साक्षात प्रकट होकर अन्ममदेव से कहा कि अपने रास्ते पर आगे बढ़ते जाओ, मैं भी तुम्हारे पीछे-पीछे चलूंगी.
अन्ममदेव ने जीते कई राज्य
कहा जाता कि माता दंतेश्वरी के आशीर्वाद से अन्ममदेव ने अपने रास्ते पर चलते हुए कई राज्य जीते. दंतेवाड़ा में जिस जगह वह जाकर रुके वहां माता स्थापित हो गईं. इस प्रकार उन्होंने बस्तर सामाज्य की स्थापना भी की. इतिहास में भी इस बात का उल्लेख मिलता है कि बारसुर के युद्ध में राजा अन्मदेव ने हरिशचंद्र देव को मारकर बस्तर में अपने राज्य की स्थापना की थी.
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