Sukma: आदिवासी महासभा ने मुठभेड़ में मारे गए 2 नक्सलियों को बताया आम ग्रामीण, पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप
5 सितंबर को सुकमा जिले के ताड़मेटला के जंगल में हुए पुलिस नक्सली मुठभेड़ को पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने फर्जी मुठभेड़ बताया है और दो निर्दोष ग्रामीण की गोली मारकर हत्या करने का आरोप जवानों पर लगाया है
Sukma News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कोंटा विधानसभा के पूर्व विधायक और आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम (Manish Kunjam) ने ताड़मेटला-दुलेड़ के जंगल में मुठभेड़ में मारे गए कथित नक्सली सोढ़ी कोसा और रवा देवा को स्थानीय ग्रामीण बताया है. उन्होंने 5 सितंबर को हुए पुलिस एनकाउंटर को फर्जी बताया है. इस घटना की निंदा करते हुए न्यायिक जांच की मांग की है. दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की भी मांग की है.
मनीष कुंजाम ने कहा कि उनकी टीम ने घटना की जांच की है. उन्होंने बताया कि संयोग से मुठभेड़ वाले दिन उनका एलमागुंडा में एक कार्यक्रम था. तभी सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने उन्हें फोन कर ताड़मेटला में मुठभेड़ चलने की जानकारी दी और उन्हें एलमागुंडा जाने से मना कर दिया. मनीष कुंजाम ने बताया कि वह चिंतागुफा तक पहुंच गए थे और यहां स्थानीय ग्रामीणों से बातचीत के दौरान पता चला कि पुलिस ने गांव वालों को बीती रात से नक्सलियों के साथ मुठभेड़ चलने की जानकारी दी थी, लेकिन गांव वालों को गोलियों की आवाज सुनाई नहीं दी.
ग्रामीण लगा रहे हैं पुलिस पर ये आरोप
कुंजाम ने कहा कि एसपी ने फिर भी मुठभेड़ जारी रहने की बात कहते हुए उन्हें एलमागुंडा जाने से फोन कर रोक लिया. मनीष कुंजाम ने कहा कि चिंतागुफा से ताड़मेटला की दूरी महज 5 से 6 किलोमीटर की है. अगर मुठभेड़ होती तो गोलियों की आवाज जरूर सुनाई देती. मनीष कुंजाम ने आगे बताया कि उनके चिंतागुफा से वापसी के दौरान ताड़मेटला गांव से एक युवक का फोन आया कि यहां ऐसी मुठभेड़ की कोई घटना नहीं हुई है.
उन्हें एक युवक ने फोन पर बताया कि ताड़मेटला गांव के दो युवक सोढ़ी कोसा और रवा देवा तिम्मापुरम गांव में अपने सगे संबंधी से मिलने गए हुए थे, और वापसी के दौरान युवकों को पुलिस फोर्स ने रोक लिया, और अपनी गोलियों से भूंज डाला. पुलिस ने दोनों युवकों को एक-एक लाख का इनामी नक्सली बता दिया. गोली मारने के बाद उनके मोटरसाइकिल को भी छुपा दिया गया.
जवानों पर लगाया शव को जलाने का आरोप
इधर मृतकों के परिजनों और ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस ने दोनों युवको पर सीधे गोली चला दी, अगर युवको पर संदेह था उन्हें पकड़ कर पूछताछ करती या गिरफ्तार कर लेती, लेकिन अपनी उपलब्धि दिखाने के लिए दो निर्दोष युवकों की पुलिस ने हत्या कर दी. ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस ने युवकों के शवों को खुद ही जला दिया.
बस्तर के आईजी ने आरोपो का किया खंडन
इधर बस्तर के आईजी सुंदरराज पी ने फर्जी मुठभेड़ के आरोपों का खंडन किया है. आईजी ने अपने बयान में कहा है कि मारे गए दोनों ग्रामीण नक्सली संगठन के जनमलिशिया कैडर थे और ताड़मेटला गांव के शिक्षा दूत कवासी सुक्का, और गांव के उपसरपंच माड़वी गंगा और ग्रामीण कोरसा कोसा की हत्या में शामिल थे, इसके अलावा फोर्स के भी हर मूवमेंट की जानकारी नक्सलियों तक पहुंचाते थे.
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