Chhattisgarh News: कोरिया जिले(Koriya News) में मध्यम सिंचाई परियोजना गेज जलाशय निर्माण में अधिग्रहित जमीन का 31 साल बाद मुआवजा राशि वितरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. गेज जलाशय निर्माण कराने से पहले 37.993 हेक्टेयर जमीन चिह्नित थी लेकिन 3 दशक बाद अधिग्रहित जमीन का आंकड़ा 50.549 हेक्टेयर पहुंच गया है. वहीं अधिग्रहित जमीन का रकबा बढ़ा लेकिन कुछ किसानों की जमीन का रकबा घटा दिया गया है. किसानों ने इसे लेकर आपत्तियां दर्ज कराई थीं. जिसे खारिज कर दिया गया. इसके बाद कब्जाधारी और पट्टेदार दोनों को मुआवजा भुगतान का निर्णय लिया गया है.
मामले में विवाद बढ़ने के बाद मुआवजा राशि लंबित हुई थी
साल 1990-91 में ग्राम पंचायत चेरवापारा में मध्यम सिंचाई परियोजना निर्माण कराने करीब 117 किसानों की 37.993 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण करने चिह्नित थी मामले में विवाद बढ़ने के बाद मुआवजा राशि लंबित पड़ी थी. वहीं साल 2018-19 में तहसील न्यायालय बैकुंठपुर में प्रकरण का निराकरण हुआ. फिलहाल नई सूची के हिसाब से 59 किसानों (पट्टेदार व कब्जेदार) का नाम शामिल है और नया रकबा बढक़र 50.549 हेक्टयर हो गया है. जलभराव क्षेत्र में जमीन फंसने के एवज में 15 करोड़ 75 लाख 26 हजार 693 रुपए मुआवजा राशि का भुगतान करना है फिलहाल मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया चल रही है. वहीं जमीन अधिग्रहण करने की सहमति पत्र में कई किसानों के हस्ताक्षर नहीं कराए गए हैं मामले में नपा उपाध्यक्ष आशीष यादव ने पुराने दस्तावेज निकाले हैं, जिसमें कई खामियां बताने लगे हैं.
केस-1
ग्राम पंचायत चिरगुड़ा निवासी रामचरण पिता प्रेमसाय का पुराने रेकॉर्ड में खसरा नंबर 784/2 व रकबा 0.808 हेक्टेयर था लेकिन नई सूची में खसरा 484/3 व रकबा 0.404 हेक्टेयर है.
केस-2
ग्राम पंचायत चेरवापारा निवासी रामनारायण का पुराने रेकॉर्ड में खसरा नंबर 484/3 व रकबा 0.809 हेक्टेयर था लेकिन नई सूची में रकबा 0.405 हेक्टेयर है.
जमीन अधिग्रहण के मामले में 17 किसानों ने आपत्तियां लगाई थी लेकिन जमीन डूबने के कारण आपत्तियां खारिज कर दी गई. क्योंकि किसान जिस जमीन को अपना बता रहे थे. वे जमीनें डूब चुकी थीं इसलिए किसानों के खसरा नंबर के कुल रकबे में से अवैध कब्जा करने वाले को भी मुआवजा प्रकरण बनाने का निर्णय लिया गया है. क्योंकि अधिग्रहित जमीन में 14.632 हेक्टेयर में पण्डो व अन्य ग्रामीण काबिज थे लेकिन 17 अन्य व्यक्तियों ने फर्जी तरीके से पट्टा बनवा लिया था. यह बात बकायदा तहसील कार्यालय के रेकॉर्ड में उल्लेख किया गया है.
एसडीएम ने बताया कि मुआवजा वितरण की प्रक्रिया चल रही है
इस संबंध में बैकुंठपुर एसडीएम ज्ञानेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि गेज जलाशय निर्माण के लिए पहले अधिग्रहित जमीन करीब 37 हेक्टेयर थी, जिसे निरस्त कर दिया गया था. वर्तमान में करीब 50 हेक्टेयर अधिग्रहित जमीन का मुआवजा वितरण की प्रक्रिया चल रही है. इसमें गड़बड़ी की शिकायत करने वाले ही बेहतर बता पाएंगे कि गड़बड़ी कहां हुई है.
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